एक-एक व्यक्ति के 10-10 बाप, पश्चिम बंगाल में SIR पर नया बवाल
पश्चिम बंगाल में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण यानी SIR मुहिम के दौरान एक बेहद चौंकाने वाला विवाद सामने आया है. ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि कई लोग वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए ऐसे दस्तावेज़ जमा कर रहे हैं, जिनसे वे अंजान लोगों को अपना पिता या परिवार के सदस्य साबित कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि इस प्रक्रिया में एक ही व्यक्ति के नाम को 10–10 लोगों का पिता दिखाया जा रहा है. संगठन का कहना है कि यह सीधा चुनावी हेरफेर का मामला है और इससे भविष्य में वोटर लिस्ट की विश्वसनीयता पर गहरा खतरा पैदा हो सकता है.
इस मामले को लेकर बीएलओ एसोसिएशन ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक विस्तृत पत्र भेजा है. पत्र में बताया गया है कि खास तौर से बॉर्डर के ज़िलों में यह गड़बड़ी ज़्यादा देखने को मिल रही है. जिन लोगों का 2002 के रिकॉर्ड से कोई संबंध नहीं है, वे किसी ऐसे वरिष्ठ नागरिक के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो पहले से सूची में मौजूद हैं. सिर्फ समान सरनेम और रिकॉर्ड नंबर के आधार पर खुद को उनका बेटा या रिश्तेदार दिखाकर लिंकिंग करा ली जा रही है. इस तरह एक व्यक्ति के नाम के साथ 10 तक लोगों को उसका बेटा बनाया जा रहा है, जिससे पहचान सत्यापन पूरी तरह संदेह के घेरे में आ गया है.
SIR अभियान में बीएलओ को पेश आ रहीं ये परेशानियां
बीएलओ एक्या मंच के महासचिव स्वपन मंडल ने News से बातचीत में कहा कि संगठन ने इसे लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखकर जानकारी दी है. आयोग ने कहा है कि वह इस मामले को AI की मदद से जांचेगा. लेकिन मंडल का कहना है कि असली समस्या सिर्फ सिस्टम की नहीं, डराने-धमकाने की भी है. उनके अनुसार कई बीएलओ को काम के दौरान धमकियों का सामना करना पड़ रहा है और इस कारण वे शिकायतें दर्ज करने से भी कतरा रहे हैं.
पत्र में यह भी लिखा गया है कि SIR के दौरान बीएलओ लगातार भारी दबाव में काम कर रहे हैं. बीएलओ ऐप में एडिट ऑप्शन हटाए जाने के कारण सुधार करना मुश्किल हो गया है. सर्वर दिनभर बेहद धीमा चलता है और सिर्फ आधी रात के बाद तेज होता है, जिससे कर्मचारियों पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है. इसके अलावा अलग-अलग EROs से अलग निर्देश आने के कारण भ्रम की स्थिति बनी रहती है. डिजिटाइजेशन अपडेट दिखाई नहीं दे रहे, मैपिंग में उम्र नहीं मिलने के कारण समस्या हो रही है. संगठन ने इसके साथ मृत और बीमार BLOs के लिए मुआवज़े की मांग भी की है.
बीएलओ संगठन ने चुनाव आयोग से अपील की है कि इन सभी समस्याओं पर तुरंत कार्रवाई की जाए, क्योंकि अगर फर्जी लिंकिंग और तकनीकी गड़बड़ियों को नहीं रोका गया तो आने वाले चुनावों की पारदर्शिता पर बड़ा असर पड़ सकता है. संगठन का कहना है कि SIR एक संवेदनशील प्रक्रिया है और इसके दौरान सिस्टम तथा मैदान दोनों स्तर पर ज़्यादा जवाबदेही ज़रूरी है. चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया और निर्देशों का इंतज़ार अब पूरे राज्य के BLOs कर रहे हैं.

