नोएडा में 10वीं फेल फर्जी IAS गिरफ्तार, यूपी कॉप एप से निकालता था FIR लिस्ट
नोएडा से 10वीं फेल फर्जी आईएएस को गिरफ्तार किया गया। आरोपी 7 साल से कम सजा पाने वाले लोगों की यूपी कॉप एप से डिटेल निकालता था। इसके बाद उन्हें एसपी और डीएम बनकर फोन करता था। केस से बचाने का झांसा देता था। इसके बदले में उनसे रुपए की डिमांड करता था। रकम मिलने के बाद फोन बंद कर देता था।
नोएडा पुलिस ने शुक्रवार को फर्जी आईएएस को मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के बारी से पकड़ा। उसकी पहचान धीरेंद्र यादव के रूप में हुई है। वह 10वीं फेल है। जिससे पूछताछ की जा रही है।
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया, कई दिनों से नोएडा पुलिस को फेक कॉल करके ठगी की शिकायतें मिल रही थीं। नोएडा के थाना फेज-1 में दर्ज एक मुकदमे की जांच करने पर पता चला कि यूपी कॉप एप से डिटेल निकालने के बाद लोगों को फोन कर उनके साथ फ्रॉड किया जा रहा है।
ऐसे लोगों को टारगेट किया जाता है, जिन्हें मारपीट,अपहरण जैसे मामलों में सजा हुई हो। जांच करने पर धीरेंद्र यादव के बारे में पता चला। धीरेंद्र यादव ने पुलिस को बताया, वह यूपी कॉप की वेबसाइट से एफआईआर पढ़ने के बाद लोगों को डीएम और एसपी बनकर फोन करता था। उन्हें मुकदमे से बचाने का लालच देकर रुपए की डिमांड करता था।
क्यूआर कोड से मंगाता था रुपए
वह लेनदेन के लिए एक क्यूआर कोड भेजता था। अगर पीड़ित पैसे देने से मना करता था तो उनकी फाइल खोलने की धमकी देता था। रुपए मिलते ही फोन बंद कर देता था। उसने ठगी के लिए 6-7 लोगों का एक गैंग भी बना रखा था, जिसका वह खुद मास्टरमाइंड था।
धीरेंद्र यादव ने बताया, उसके गांव के करीब 7 से 8 लड़के ठगी का काम करते हैं। वे सभी सुबह के समय जंगल में चले जाते हैं। वहां पर बैठकर यूपी कॉप एप से लोगों की एफआईआर निकालते हैं। यूपी कॉप एप से ही टाइटल को देखकर यह जानकारी करते हैं कि किस प्रकार का मुकदमा किन धाराओं में लिखा गया है। जांच अधिकारी का भी नाम पता कर लेते हैं। इसके बाद अपना टारगेट फिक्स करते हैं। फोन करके पीड़ित से करीब 3,000 से 5,000 रुपए मांगते है।धीरेंद्र यादव ने बताया, जिस सिम से कॉल की जाती है। उस सिम के धारक का नाम पता फर्जी रहता है। ये सिम गांव के ही पुष्पेन्द्र यादव से लेते थे। हर ट्रांजेक्शन में पुष्पेन्द्र का ही अकाउंट यूपीआई, क्यूआर कोड इस्तेमाल करते थे। इसके लिए उसको हर ट्रांजेक्शन पर 20% कमीशन दिया जाता था। जिस सिम का प्रयोग कर नोएडा में पीड़ित के साथ ठगी हुई। वो धीरेंद्र के गांव बरी से 40 किमी दूर अशोक कुमार के नाम पर था।
पुलिस के मुताबिक जिन मामलों में सजा 7 साल से कम एवं जिस केस में पीड़ित अधिक पैनिक स्थिति में हो, उन्हीं केस में कॉल की जाती थी। लोगों को भरोसे में लेने के लिए कि वह पुलिस विभाग से हैं। एफआईआर तत्काल डाउनलोड कर पीड़ित को भेज देते थे। जिससे कि उन्हें विश्वास हो जाए कि ये लोग पुलिस विभाग से हैं।
धीरेंद्र यादव ने बताया कि वह एक साल से लोगों से फोन कर ठगी कर रहा है। वह इसके पहले गाजियाबाद में लोगों को फोन करके पैसे मांग चुका है।