अमरनाथ यात्रा 2025 आज से शुरू! क्या है किस पवित्र तीर्थयात्रा का महत्व?
दिल्ली, अमरनाथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र वार्षिक तीर्थयात्रा है, जिसमें हर साल हजारों तीर्थयात्री जम्मू-कश्मीर में पावन अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए आते हैं। हिमालय से लगभग 12,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये तीर्थयात्रा आध्यात्मिक रूप से विशेष होने के साथ-साथ शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण भी है। गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से बना शिवलिंग है, जो भगवान शिव का प्रतीक है।
अमरनाथ यात्रा की धार्मिक मान्यता
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में अमरनाथ पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को ‘अमर कथा’ बताई थी, जो अमरता का रहस्य है। ये सुनिश्चित करने के लिए कि माता के अलावा कोई और कथा न सुन सके, भोलेनाथ ने अपने दिव्य साथियों को रास्ते में ही छोड़ दिया। उन्होंने अपने बैल नंदी को पहलगाम में, अपने बालों से चंद्रमा को चंदनवारी में और अपने सांप को शेषनाग झील के रास्ते में छोड़ दिया। यही सारे स्थल यात्रा के प्रमुख पड़ाव बन गए हैं।
‘अमरनाथ’ नाम की उत्पत्ति
‘अमरनाथ’ नाम की उत्पत्ति इस कथा में निहित है। ‘अमर’ का अर्थ है शाश्वत और ‘नाथ’ का अर्थ है भगवान। गुफा मंदिर को आम तौर पर अमरेश्वर और अमरेश जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
अमरनाथ यात्रा का आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताएं है कि ये यात्रा आत्मा को शुद्ध करती है, आध्यात्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है, पापों से मुक्त मिलती है और जन्म-मृत्यु का चक्र समाप्त हो जाता है। इस गुफा की खोज मूल रूप से ऋषि भृगु ने की थी। ये तीर्थस्थल केवल गर्मियों में तीर्थयात्रियों के लिए सुलभ है क्योंकि ये साल के बाकी समय भारी बर्फ से ढका रहता है। कठोर परिस्थितियों के बावजूद, यात्रा अभी भी सभी उम्र के लोगों को आकर्षित करती है, हर कोई अपार आस्था के साथ यात्रा करता है।