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खालिस्तानी आतंकी चौड़ा की हिटलिस्ट में था बादल परिवार

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पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को गोल्डन टेंपल के गेट पर फायरिंग करने वाला खालिस्तानी आतंकी है। गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक का रहने वाला नारायण सिंह चौड़ा की फायरिंग से सुखबीर बाल-बाल बच गए।

नारायण सिंह चौड़ा की हिटलिस्ट में बादल परिवार पहले से था। वह बादल परिवार को सिख पंथ का गद्दार मानता है। चौड़ा आतंकियों के साथ जेल काट चुका है और खुद भी आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है।

वह भारत सरकार की ओर से बैन किए जा चुके खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ा है। बुधवार सुबह सुखबीर बादल पर गोली चलाने के बाद पुलिस ने उसका फोन जब्त कर लिया। पुलिस सूत्र बताते हैं कि उसके मोबाइल फोन से कुछ संदिग्ध नंबर मिले हैं।

नारायण सिंह चौड़ा का जन्म 4 अप्रैल 1956 को गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक एरिया के चौड़ा गांव में हुआ। पंजाब में आतंकवाद के दौर से ही नारायण सिंह काफी एक्टिव रहा। वह साल 1984 में पाकिस्तान गया जहां उसकी मुलाकात ऐसे कई संगठनों से हुई जो भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। उसने पाकिस्तान में रहते हुए गुरिल्ला वॉर पर किताब और देशद्रोही साहित्य भी लिखा। पंजाब में आतंकवाद के दौरान आतंकी गुरिल्ला वॉर की तरह ही वारदात किया करते थे।

यही नहीं, चौड़ा पंजाब में आतंकवाद के शुरुआती दौर में हथियारों और विस्फोटकों की स्मगलिंग भी करता रहा। उस दौरान पंजाब में हुई कई आतंकी गतिविधियों में उसकी अहम भूमिका रही।

नारायण सिंह चौड़ा के खिलाफ 8 मई 2010 को अमृतसर के सिविल लाइन थाने में आर्म्स एक्ट के तहत तकरीबन एक दर्जन मामले दर्ज किए गए। अमृतसर, तरनतारन और रोपड़ जिले में उस पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के केस भी दर्ज हैं। अमृतसर में आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज एक केस में वह कोर्ट से बरी भी हो चुका है।

2013 में गिरफ्तार हुआ पंजाब पुलिस ने नारायण सिंह चौड़ा को 28 फरवरी 2013 को तरनतारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया था। उसके साथ तरनतारन के ही पंडोरी गांव से सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह भी अरेस्ट किए गए। इन तीनों से पूछताछ के बाद पंजाब पुलिस ने मोहाली के कुराली गांव में रेड करके RDX और हथियारों का जखीरा बरामद किया था। इस केस में नारायण सिंह चौड़ा को जमानत मिली हुई है।

नारायण सिंह चौड़ा पर आरोप है कि वह 2004 में चंडीगढ़ में हुए बुड़ैल जेल ब्रेक कांड का मास्टरमाइंड है। तब पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह के हत्यारे जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भ्यौरा और जगतार सिंह तारा जेल के अंदर सुरंग खोदकर फरार हो गए थे।

आरोप है कि नारायण सिंह चौड़ा जेल में इन लोगों से नियमित रूप से मिलने जाता था। वह इन्हें खाने-पीने के अलावा कपड़े और जरूरत के दूसरे सामान भी उपलब्ध करवाता था। बुड़ैल जेल ब्रेक की इन्वेस्टिगेशन के दौरान पुलिस ने उसे अरेस्ट भी किया था। उस दौरान की गई पूछताछ में खुलासा हुआ कि नारायण सिंह चौड़ा पगड़ी देने के बहाने बेअंत सिंह के हत्यारों से मिलता था।

हवारा और उसके साथियों ने जेल में कई महीने तक अपनी बैरक से जेल की बाहरी दीवार तक सुरंग खोदी। 21 और 22 जनवरी 2004 की दरम्यानी रात इस सुरंग से ही वह जेल की बाहरी दीवार तक पहुंचे और फिर पगड़ी वाले कपड़े की मदद से ही जेल की दीवार फांदी थी। आरोप है कि जेल से भागने में उनकी मदद के लिए चौड़ा ने जेल में बिजली सप्लाई करने वाली तारों पर चेन डालकर बत्ती गुल कर दी थी।

पुलिस जांच में यह भी पता चला था कि इन लोगों के लिंक पाकिस्तान में बैठे कुछ आतंकियों के साथ भी थे। बादल परिवार काफी समय से नारायण सिंह चौड़ा के निशाने पर था। उसने पंजाब के एक लोकल अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि बादल सिख पंथ के गद्दार हैं। चौड़ा का आरोप था कि भाई जसपाल सिंह सिधवां चौड़ समेत कई सिखों की हत्याओं और श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करवाने में बादल परिवार के सदस्यों का हाथ रहा।

जनवरी-2013 में केंद्र सरकार की इंटेलिजेंस ब्यूरो की ओर से पंजाब सरकार को एक लेटर भेजा गया था। इस लेटर में दावा किया गया था कि आतंकी नारायण सिंह चौड़ा पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर बादल को टारगेट कर सकता है। उसके बाद पंजाब के तत्कालीन DGP सुमेध सिंह सैनी ने दोनों की सुरक्षा बढ़ा दी थी।

अब जब सुखबीर बादल ने सरकार में रहते हुए खुद से हुई गलतियां अकाल तख्त के सामने स्वीकार कीं और अकाल तख्त की ओर से दी गई सजा पूरी करनी शुरू की तो नारायण सिंह चौड़ा ने उन पर हमला कर दिया।

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