भीख मांगने वाले परिवारों को मिलेगी नई दिशा, 264 बच्चों को शिक्षा और 144 परिवार को रोजगार
संभल में भीख मांगने वाले परिवारों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस पहल में हरि कृपा संस्थान की डॉ. रेनू भी सहयोग कर रही हैं। संभल प्रशासन, उम्मीद संस्था और वीनस शुगर मिल की संयुक्त प्रयास से इस अभियान को शुरू किया गया है।
डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि कार्यक्रम के तहत 264 बच्चों और 144 परिवारों की पहचान की गई है। इनमें 74 बच्चे 6 से 15 वर्ष के हैं और 32 बच्चे 6 वर्ष से कम उम्र के हैं। चंदौसी से 45, बहजोई से 70, बबराला-गुन्नौर से 13 और संभल से 18 परिवार इस कार्यक्रम का हिस्सा हैं।
पुनर्वास की दिशा में पहला कदम उठाते हुए 29 परिवारों को चंदौसी में काशीराम योजना के तहत अस्थाई आवास दिया गया है। बच्चों की अनौपचारिक शिक्षा शुरू हो चुकी है। 1 जुलाई से विद्यालयों के माध्यम से औपचारिक शिक्षा भी शुरू की जाएगी।
डीएम ने कहा कि कुछ लोग बाहर के जनपदों से आए हैं, उनके गृह जनपदों से सत्यापन की प्रक्रिया भी चल रही है। हमने एक टास्क फ़ोर्स बनाई है जिसमें मैं और कप्तान साहब है, हमारे जनपद संभल प्रशासन टीम के 28 सदस्य हैं।
कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर माइक्रोफाइनेंसिंग के जरिए उद्यमिता और बचत की आदत विकसित करना है। साथ ही, परिवारों को राशन कार्ड, आधार कार्ड, स्वास्थ्य सेवाएं और आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
योजना का लक्ष्य कौशल विकास और प्रशिक्षण के माध्यम से इन परिवारों को रोजगार से जोड़ना है। इसके अलावा अन्य भीख मांगने वाले परिवारों की भी पहचान कर उन्हें इस कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा, ताकि संभल को भीख मांगने की कुप्रथा से मुक्त किया जा सके।