बुलंदशहर : एनकाउंटर के बाद शव घर पहुंचा तो नारे लगे, बोले- हमारा ठाकुर कैसा हो, बलराम जैसा हो
गाजियाबाद में एनकाउंटर में ढेर किए गए अनिल दुजाना गैंग के लीडर बलराम ठाकुर का शव पोस्टमॉर्टम के बाद सोमवार को बुलंदशहर के जहांगीराबाद स्थित घर पहुंचा। यहां पुलिस फोर्स की मौजूदगी में सैकड़ों लोगों की भीड़ जुट गई। शव गाड़ियों के काफिले और हुड़दंग, नारेबाजी के बीच घर लाया गया। आगे पुलिस की गाड़ी, फिर एंबुलेंस में शव और पीछे 4-5 वाहनों में समर्थक हुड़दंग-नारेबाजी करते हुए पहुंचे। कार के गेट पर खड़े होकर नारेबाजी की।
शव दरवाजे पर रखा गया तो लोगों ने बलराम ठाकुर जिंदाबाद, ठाकुर साहब जिंदाबाद, हमारा ठाकुर कैसा हो… बलराम ठाकुर जैसा हो। ऐसे नारे लगाए। इससे पहले शनिवार को गाजियाबाद में एनकाउंटर में बलराम ठाकुर को ढेर कर दिया गया था।
20 मिनट तक भीड़ नारेबाजी करती रही सैकड़ों की भीड़ ने नारेबाजी करते हुए जिंदाबाद… जिंदाबाद के नारे लगाए। इसका वीडियो सामने आया है। जिसमें दिख रहा है कि पास में ही पुलिस की गाड़ियां खड़ी हैं। यहां करीब 20 मिनट तक भीड़ नारेबाजी करती रही। महिलाएं रो रही हैं। हंगामे और नारेबाजी के बीच बिजली कट गई। अंधेरे में लोगों ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर नारेबाजी की।
शव के साथ गाड़ियों के काफिले में युवकों ने हुड़दंग किया कुख्यात बदमाश का शव जब जहांगीराबाद कस्बे में पहुंचा तो समर्थक गाड़ियों से हूटिंग करते हुए पीछे-पीछे काफिले के रूप में आए। वीडियो में 5 कार और कुछ बाइक पर युवक हुड़दंग करते दिख रहे हैं। बलराम ठाकुर का वेस्ट यूपी से लेकर दिल्ली NCR तक 28 सालों का खौफ था। बलराम पर 50 हजार का इनाम था। उस पर गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़ और रामपुर में 34 से ज्यादा केस दर्ज थे। इनमें हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण और फिरौती जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
मां बोलीं- मेरे बेटे को 8 गोली मारी गई गैंगस्टर बलराम ठाकुर की मां की उम्र करीब 72 साल है। बेटे का शव देखते ही मां ने चीख-चीखकर कहा कि मेरा मेहनती बेटा था। मेरे बेटे को 8 गोली मारी है। तभी तो मेरे बेटे का दम निकला है। बहुत तगड़ा बेटा था। मेरा बेटा खाने-पीने वाला था। दरोगा से कह देना कि तेरा तो घर डूबेगा। मेरे बेटे को 8 गोली मारी, 4 गोली में तो मेरे बेटे का कुछ न होता।
पिता संपन्न किसान, छोड़कर चली गई थी पत्नी बलराम के पिता श्याम सिंह, बुलंदशहर के जहांगीराबाद के संपन्न किसान थे। उनके पास 48 बीघा जमीन थी। साल 1995 में उन्होंने अपने बड़े बेटे बलराम की शादी बुलंदशहर के खुदारिया गांव की एक महिला से कराई, लेकिन शादी के केवल 5 महीने बाद ही बलराम पर पत्नी के साथ मारपीट और दहेज उत्पीड़न का आरोप लगा, जिसके चलते उसके खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज हुआ।
इसके बाद पत्नी उसे छोड़कर अपने मायके चली गई। 1997 में बलराम ठाकुर ने अपने साले रामवीर की हत्या कर दी। मां शर्मवीरी और पिता श्याम सिंह हमेशा उसके अपराधों का विरोध करते रहे। साल 2019 में 78 साल की उम्र में पिता का निधन हो गया। अभी बलराम की 72 साल की मां और छोटा भाई नीरज है।
नीरज ट्रक ड्राइवर है। बलराम के नाम अब न तो कोई जमीन है और न ही मकान। सिर्फ 60 गज में बना एक पुराना मकान उसकी मां के नाम है। लोगों ने कहा कि नीरज पुलिस हिरासत में है।