दलित युवती से 1 घंटे दरिंदगी, नाखूनों से नोंचा, नशे में कितना पीटा, याद नहीं
हम लोगों ने दौड़ाकर खेत में उसे दबोचा। दुपट्टा मुंह में ठूंस दिया, लेकिन लगातार विरोध करती रही। गुस्से में उसके सिर पर डंडे मारे। हमें पता ही नहीं चला कब मर गई। ये कबूलनामा है अयोध्या में दलित युवती की हत्या मामले में मुख्य आरोपी दिग्विजय सिंह का।
पुलिस ने सोमवार को दिग्विजय सिंह उर्फ बाबा, हरिराम कोरी और विजय साहू को गिरफ्तार किया। दिग्विजय युवती के गांव का ही रहने वाला है। उसका युवती के पिता के पास आना-जाना था। दो महीने पहले युवती के भाई ने दिग्विजय को पीटा था। बेइज्जती का बदला लेने के लिए उसने ये कदम उठाया।
पुलिस की पूछताछ में दिग्विजय ने अपना जुर्म कबूल किया। 1 घंटे की दरिंदगी में लड़की के साथ क्या-क्या हुआ? कहां-कहां डेड बॉडी लेकर घूमते रहे? कैसे 500 मीटर की परिधि में यह क्राइम सीन फैल गया।
30 जनवरी की रात 10 बजे एक 22 साल की लड़की घर से निकली। मगर वापस नहीं आई। परिजन उसे ढूंढते रहे। इसके बाद 31 जनवरी को अयोध्या कोतवाली में अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया।
1 फरवरी को गांव से 700 मीटर दूर जंगल की नहर में उसकी न्यूड लाश मिली। हाथ-पैर बांधकर उसे पेड़ से लटकाया गया। उसकी बॉडी नहर को टच कर रही थी। दोनों आंखों पर चोट थी, जैसे नोचा गया हो।
चेहरे और सिर पर गहरे घाव थे। शरीर पर जगह-जगह जख्म थे। उसका पैर भी टूटा हुआ था। पुलिस पूछताछ में दिग्विजय ने बताया- हम लोग खेत में शराब पी रहे थे। इतने में रास्ते पर वो (दलित लड़की) अकेले आती दिखी। उसको देखते ही हमें उसके भाई से हुई मारपीट और बेइज्जती याद आ गई। मैं गुस्से में उसकी तरफ दौड़ा। मुझे देखते ही वह खेत की तरफ भागने लगी। मैंने दौड़ाकर उसे दबोच लिया।
वह चीखने लगी। मैंने उसके दुपट्टे को ही उसके मुंह में ठूंस दिया, लेकिन वह विरोध करती रही। हमने नशे में उसे बेहरमी से पीटा। सिर पर डंडे मारे। उसके शरीर से खून निकल रहा था।
काफी देर बाद हमें समझ आया कि वह मर चुकी है। उसके साथ करीब एक घंटे तक हैवानियत की। उस दिन पूरे गांव में लाउडस्पीकर लगे थे। कथा सुनाई जा रही थी, इसलिए किसी को कुछ पता नहीं चला।