यूपी में बिना पढ़े 80 हजार में बन रहे डॉक्टर
मैनपुरी/आगरा, 7 मई, 2025 को यूपी के हापुड़ में मोनाड यूनिवर्सिटी के जरिए बड़े पैमाने पर डिग्रियां बेचने का खुलासा हुआ था। चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 1372 डिग्री-मार्कशीट जब्त की गईं। ये हर डिग्री/मार्कशीट के लिए 50 हजार से 4 लाख तक लेते थे।
रैकेट बिहार, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान की 15 यूनिवर्सिटी तक फैला था। ये करीब 10 हजार लोगों को डिग्रियां और मार्कशीट बेच चुके हैं। इनमें डॉक्टर–इंजीनियर की डिग्रियां भी हैं।
इस खुलासे के बाद यूपी में डिग्रियां बेचने का धंधा बंद हो गया या अब भी शॉर्टकट से डॉक्टर बनाया जा रहा? फर्जी डॉक्टर डिग्रियां कहां से लाते हैं? इन सवालों के जवाब के लिए ने अपने लोकल सोर्सेस, कुछ डिग्रीधारी लोगों को विश्वास में लेकर जानकारी ली तो पता चला कि मैनपुरी और आगरा में ऐसा हो रहा है। इसके बाद वहां जाकर 15 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया।
हमने अपने इन्वेस्टिगेशन की शुरुआत मैनपुरी के करहल कस्बे से की। हमें एक झोलाछाप डॉक्टर से इसकी जानकारी मिली कि बाईपास रोड पर स्थित इंडोकेयर हॉस्पिटल की आड़ में रुपए लेकर डिग्री बांटने का खेल कर रहा है।
सोर्स के जरिए इंडोकेयर हॉस्पिटल के संचालक डॉ. रजिक खान का नंबर मिल चुका था। चूंकि हमें जानकारी थी तो हम पहले ही फोन पर डॉ. रजिक खान से खुद को झोलाछाप डॉक्टर बताकर बात कर रहे थे कि अब क्लिनिक चलाने में दिक्कत आ रही है। कोई डिग्री दिला दीजिए। दो-तीन बार की कॉल के बाद वह मिलने को तैयार हो गया। जिसके बाद हम करहल पहुंचे। उसके हॉस्पिटल जाने से पहले उसके घर पहुंचे, जहां उसने इंडोकेयर नाम से छोटा-सा क्लिनिक भी खोल रखा है।
बोर्ड पर डॉ. रजिक खान लिखा है और डिग्री में फिजीशियन और सर्जन लिख रखा है लेकिन यहां हमारी मुलाकात उससे नहीं हुई। फिर हम बाईपास रोड स्थित अस्पताल पहुंचे, जहां डाॅ. रजिक खान मिला। रजिक ने खुद को इंडोकेयर अस्पताल और किरथुआ स्थित सांईनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल एंड नर्सिंग साइंस (नर्सिंग स्कूल इन करहल) का संचालक बताया।