Health

एक दिन में कितनी बार पेशाब करना नॉर्मल?

सर्दियों के मौसम में लोगों को ज्यादा पेशाब आने लगता है. कई बार तो लोग हर घंटे पर पेशाब करने जाते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में लोगों को ज्यादा बार यूरिनेशन की जरूरत होती है, क्योंकि इस दौरान लोगों का पसीना कम निकलता है और शरीर से एक्स्ट्रा पानी पेशाब के जरिए ही बाहर निकलता है. कोल्ड सेंसेशन से पेशाब ज्यादा आता है. सर्दियों में हवा में नमी होती है और सांस लेने के दौरान हमारे शरीर में नमी भी पहुंचती है. इससे फेफड़ों को फंक्शनिंग के लिए कम पानी की जरूरत होती है. ऐसे में पेशाब ज्यादा बनने लगता है. सर्दियों में पेशाब ज्यादा बनने की कई वजह हो सकती हैं, लेकिन हर घंटे पर पेशाब का प्रेशर बनना बीमारियों का संकेत हो सकता है.

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के वाइस चेयरमैन डॉ. अमरेंद्र पाठक ने News18 को बताया कि 24 घंटे में 7 से 8 बार पेशाब करना नॉर्मल माना जाता है. अगर किसी को हर घंटे पर पेशाब जाने की जरूरत महसूस हो रही है, तो इसे फ्रीक्वेंट यूरिनेशन माना जाएगा. सर्दियों के मौसम में लोग ज्यादा चाय-कॉफी पीने लगते हैं, जिनमें ड्यूरेटिक प्रॉपर्टी होती हैं. इससे लोगों को ज्यादा पेशाब आने लगता है. इसके अलावा 40 से 45 की उम्र के बाद प्रोस्टेट बढ़ने की परेशानी पैदा हो सकती है. इसकी वजह से लोगों को बार-बार यूरिनेशन के लिए जाना पड़ सकता है. कई हेल्थ प्रॉब्लम्स की वजह से भी लोग बार-बार पेशाब जाने लगते हैं. अगर कोई हर घंटे पर पेशाब जा रहा है, तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

डॉक्टर ने बताया कि हमारी पेशाब की थैली में 300 से 400 ml पेशाब होल्ड करने की क्षमता होती है. जब किसी व्यक्ति की पेशाब की थैली सेंसिटिव हो जाती है, तब 100 ml पेशाब भरने पर भी यूरिनेशन की जरूरत महसूस होने लगती है. इस परेशानी को ओवरएक्टिव ब्लेडर भी कहा जाता है. प्रोस्टेट की बीमारी, यूरिन इंफेक्शन और हाई ब्लड शुगर होने पर भी लोगों को बार-बार पेशाब जाने की जरूरत होती है. कभी-कभी हार्ट के पेशेंट्स को बीपी कंट्रोल करने के लिए जो दवाएं दी जाती हैं, उनसे भी यूरिनेशन बढ़ जाता है. डायबिटीज के मरीजों को फ्रीक्वेंट यूरिनेशन का ज्यादा सामना करना पड़ता है, क्योंकि जब पेशाब के जरिए शुगर बाहर निकलती है, तब यूरिन इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ता है. इससे लोगों को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है.

यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि लोगों को सर्दियों में गर्मियों के मुकाबले यूरिनेशन के लिए ज्यादा जाना पड़ता है. इसे कंट्रोल करने के लिए चाय-कॉफी का सेवन लिमिट में करना चाहिए और डायबिटीज को कंट्रोल करने की कोशिश करनी चाहिए. अगर आपको यूरिन इंफेक्शन है, तो डॉक्टर से मिलकर जांच करानी चाहिए. हालांकि फ्रीक्वेंट यूरिनेशन की समस्या हो, तो सबसे पहले यूरोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए. डॉक्टर आपको फिजिकल एग्जामिनेशन के बाद कुछ दवाएं दे सकते हैं. इसके बाद पेशाब का फ्लो टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और यूरिन टेस्ट, शुगर लेवल टेस्ट करा सकते हैं. इन टेस्ट की रिपोर्ट्स के बाद पता चल जाएगा कि आपको क्या समस्या है. फिर आपको इन परेशानियों की दवाएं दी जाएंगी, ताकि फ्रीक्वेंट यूरिनेशन से निजात मिल सके.

Umh News india

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