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दाऊजी महाराज के आंगन में हुरंगा उत्सव

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भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ जी की नगरी बलदेव में कोड़ेमार होली खेली गई. हुड़ंगे में हुरियारों और हुरियारिनों के बीच जमकर होली खेली गई.
मंदिर परिसर में रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने होली खेलने आए पुरुषों के कपड़े फाड़ कर उन पर प्रेम से पगे कोड़े बरसाए. ब्रज की इस अनूठी होली को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे और इन अद्भुत क्षणों के साक्षी बने.

बता दें कि ब्रज की लठामार होली की तरह दाऊजी का हुरंगा भी होली का एक विशेष कार्यक्रम है और यहां की होली थोड़ी अलग तरह से मनाई जाती है. यहां हुरियारिनें ना तो हुरियारों पर लाठी बरसाती हैं और ना ही फूल, बल्कि उनके कपड़े फाड़ कर उनसे कोड़ा बनाकर उन्हीं की पीठ पर प्रहार करती हैं.
दाऊजी मंदिर के हौद टेसू के रंगों से लबालब थे और होली की जैसे ही शुरुआत हुई, मंदिर प्रांगण रंगीन पानी के तालाब की तरह दिखाई देने लगा. विश्व प्रसिद्ध इस आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में देश और विदेश के श्रद्धालु यहां पहुंचे थे. सुबह मंदिर के चौक में समाज गायन के साथ होली की शुरुआत हुई.

बलदेव कस्बा स्थित बने बलदाऊ मंदिर में हुरंगे का आयोजन किया गया. मंदिर के रिसीवर राम कटोर पांडेय ने लोकल 18 को हुरंगे उत्सव की जानकारी देते हुए बताया कि द्वापर युग से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए यह आयोजन किया जा रहा है. देवर-भाभी के इस कोड़ेमार हुरंगे का नजारा अद्भुत होता है.
होली के रसिया गाते हुए हुरियारिनों और हुरियारों ने मंदिर में प्रवेश किया. इससे पूर्व हुरंगे की शुरुआत में गीत-संगीत के साथ हाथ में झंडा लेकर श्रीदाऊजी महाराज को आमंत्रित किया गया. हुरंगा शुरू हुआ तो मंदिर में स्थित रंगों से भरे होदों से बाल्टियों में रंग भरकर हुरियारे और हुरियारिनों ने एक-दूसरे पर रंग डाला और इसके बाद हुरियारिनों ने हुरियारों के कपड़े फाड़कर उनसे कोड़ा बनाया और उन्हीं की पीठ पर प्रहार करना शुरू कर दिया.

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