सुल्तानपुर : पूर्व विधायक की प्रतिमा को लेकर बवाल
सुल्तानपुर में 25 साल पहले लगी पूर्व विधायक इंद्रभद्र सिंह की प्रतिमा को लेकर भाजपा विधायक और भाजपा एमएलसी आमने-सामने आ गए हैं। जिले में मूर्ति विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा विधायक विनोद सिंह ने जहां शासन-प्रशासन को प्रतिमा हटवाने का पत्र लिखा है। वहीं भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह प्रतिमा के बचाव में उतर आए हैं। दोनों के लेटर भी सामने आए हैं।
भाजपा विधायक विनोद सिंह ने लिखा है, सरकार का आदेश है कि किसी भी सार्वजनिक स्थल पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं होगा। अगर ऐसा होता है तो उसको हटाने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। ऐसा ही एक मामला जिले का भी है। वहीं भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा- बदले की भावना से की गई शिकायतों के रिजल्ट भयानक हो सकते हैं।
बता दें, सुल्तानपुर में इंद्रभद्र सिंह की प्रतिमा हलियापुर-बेलवाई मार्ग पर मायंग मोड़ पर लगी है। पहले ये प्रतिमा छोटी थी। उसी जगह पर अब बड़ी प्रतिमा लगाई गई है। जिसका अनावरण करने अखिलेश यादव सुल्तानपुर आने वाले थे। लेकिन उनके आने से पहले ही जिले में विवाद प्रतिमा विवाद खड़ा हो गया है।
इस मामले में पूर्व विधायक स्व. इंद्रभद्र सिंह के बेटे और पूर्व ब्लॉक प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू ने बताया, ये कोई मामला है ही नहीं। जबरदस्ती का मामला बनाया जा रहा है। प्रतिमा न हम लोगों ने लगवाई है और न हमारे परिवार के किसी सदस्य ने पैसा दिया। साल 1999 में पिता की हत्या हुई। साल 2000 में क्षेत्रवासियों ने मिलकर प्रतिमा लगवाई थी।
हां बस इतना था कि हम लोगों को उद्घाटन के लिए बुलाया गया था। उस समय राजा भैया कैबिनेट मिनिस्टर थे, राजा राम पांडेय कैबिनेट मिनिस्टर थे। ये सब लोग आए थे। प्रतिमा और गेट का 21 जनवरी 2000 को उद्घाटन किया था। अखिलेश यादव नई प्रतिमा का अनावरण करने आने वाले थे। मुझे लगता है वो यहां न आए, तभी ये सब किया जा रहा है। प्रतिमास्थल पर जाम लगने वाली बात भी गलत है।
इस मामले में भाजपा विधायक विनोद सिंह से बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने फोन पर बात नहीं की। उनके असिस्टेंट ने कहा, विधायक के लेटर को ही उनका बयान समझा जाए। वहीं, भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, पूर्व विधायक इंद्रभद्र सिंह की प्रतिमा को हटाना आपराधिक सोच को दिखाता है। हम लोगों को ऐसे कामों से बचना चाहिए।
उनकी मूर्ति हटने से जिले की कानून और शांति व्यवस्था भी बिगड़ेगी। मैं जनता से अनरोध करता हूं कि वो लोग इसके खिलाफ प्रतिकार लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएं। जिले के अधिकारियों ने इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साध ली है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आधिकारिक बयान तब ही मिल सकता है, जब शासन से कोई निर्देश उच्च अधिकारियों को मिले।