करवाचौथ व्रत में पूजा करते समय महिलाएं लाल रंग क्यों पहनती हैं, जानिए
धर्म, हमारे देश में लाल रंग को बहुत शुभ माना जाता है. इस रंग को विवाहित और सुहाग का प्रतीक माना जाता है. सुहागिन महिला इस रंग को कुछ खास अवसरों पर जरूर धारण करती है. फिर चाहे वो वट सावित्री हो या करवाचौथ व्रत. इन दिनों में महिलाएं लाल रंग के कपड़े पहनना विशेष रूप से पसंद करती हैं, आप को बता दें कि लाल रंग प्रेम का भी प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व भी जुड़ा होता है. यह परंपरा सिर्फ सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि एक गहरा
प्रतीकात्मक अर्थ लिए होती है.
लाल रंग पहनने का महत्व और कारण:
1. शुभता और सौभाग्य का प्रतीक
- लाल रंग को हिंदू संस्कृति में शुभ, ऊर्जा, और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है.
- यह रंग देवी दुर्गा और लक्ष्मी से जुड़ा है, जो शक्ति और समृद्धि की देवी हैं.
2. विवाहिता स्त्री की पहचान
- लाल रंग विशेष रूप से विवाहिता महिलाओं से जुड़ा होता है. जैसे सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि.
- करवाचौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है, इसलिए लाल रंग पहनना इस भावना को दर्शाता है.
3. प्रेम और समर्पण का रंग
लाल रंग प्रेम, उत्साह और समर्पण का प्रतीक है. यह पति-पत्नी के रिश्ते की गहराई और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है.
4. धार्मिक दृष्टिकोण से ऊर्जा का संचार
- पूजा-पाठ में लाल रंग को सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति से जोड़कर देखा जाता है.
- व्रत के दिन लाल रंग पहनने से मनोबल बढ़ता है और पूजा में एकाग्रता आती है.
5. परंपरा और सांस्कृतिक विरासत
- पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, करवाचौथ पर लाल रंग पहनना एक सांस्कृतिक पहचान बन चुका है.
- यह न सिर्फ धार्मिक भावना को दर्शाता है, बल्कि सामूहिक उत्सव का हिस्सा भी बनता है.
लाल रंग के साथ क्या पहनें?
- लाल साड़ी, सूट या लहंगा के साथ गोल्डन या कांच की चूड़ियां.
- सिंदूर, बिंदी और मांगटीका से पूरा पारंपरिक लुक.
- चाहें तो हल्का मेकअप और लाल लिपस्टिक से लुक को पूरा करें.