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लद्दाख : कई अपील के बावजूद भूख हड़ताल जारी रखी

केंद्र सरकार ने लद्दाख में बुधवार को हिंसा के लिए सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया। गृह मंत्रालय ने देर रात बयान में कहा, ‘वांगचुक ने भड़काऊ बयानों से भीड़ को उकसाया, हिंसा के बीच अपना उपवास तो तोड़ा, लेकिन हालात काबू करने के प्रयास की जगह एम्बुलेंस से अपने गांव चले गए।’

मंत्रालय ने कहा- कई नेताओं ने वांगचुक से हड़ताल खत्म करने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने हड़ताल जारी रखी। उन्होंने अरब स्प्रिंग शैली और नेपाल में जेन-जी विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करके लोगों को गुमराह किया।’

दरअसल, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर वांगचुक ने 10 सिंतबर से भूख हड़ताल शुरू की थी। बुधवार को छात्रों और स्थानीय लोगों ने लेह में उनकी पिछले मांगें पूरी नहीं करने के विरोध में केंद्र के खिलाफ बंद बुलाया था। इसी दौरान हिंसा हुई।

प्रदर्शनकारियों ने भाजपा ऑफिस और CRPF की गाड़ी में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों में झड़प भी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई, 80 से ज्यादा लोग घायल हुए। करीब 30 सुरक्षाकर्मी भी घायल हैं। लेह में कल से कर्फ्यू लागू है।

वांगचुक की संस्था के खिलाफ CBI जांच शुरू

सोनम वांगचुक की संस्था पर विदेशी चंदा कानून (FCRA) उल्लंघन के आरोपों की सीबीआई जांच शुरू हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि यह जांच कुछ समय से चल रही है, लेकिन अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।

वांगचुक ने बताया कि करीब 10 दिन पहले सीबीआई की एक टीम आदेश लेकर उनके पास आई थी। यह आदेश गृह मंत्रालय की शिकायत पर आधारित था, जिसमें कहा गया कि उनकी संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) ने विदेशी चंदा लेने के लिए जरूरी मंजूरी नहीं ली।

लेह में 36 साल बाद हिंसा हुई लद्दाख में हिंसा की घटना 36 साल के बाद हुई है। इससे पहले 27 अगस्त 1989 को लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। पुलिस गोलीबारी में तीन नागरिक मारे गए थे।

इधर, ताजा हिंसा के बाद प्रशासन ने शांति बहाल करने के लिए लेह में ITBP, पुलिस और CRPF के जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है। लेह और उसके आस-पास के इलाकों में विरोध-प्रदर्शन या हिंसा को रोकने के लिए लगातार दूसरे दिन भी सभी सड़कें सील कर दी गई हैं।

वांगचुक की पाकिस्तान यात्रा जांच के घेरे में आई सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने लद्दाख हिंसा के पीछे विदेशी कनेक्शन की भी आशंका जताई है। खुफिया एजेंसियां उन कनेक्शन की जांच कर रही हैं, जिससे हिंसा को बढ़ावा मिला हो। सोनम वांगचुक भी जांच के घेरे में आ गए हैं।

दरअसल, वांगचुक इस साल फरवरी में पाकिस्तान गए थे। उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो कह रहे हैं- मैं पाकिस्तान के इस्लामाबाद हूं। यहां क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में शामिल होने आया हूं। इसे पाकिस्तान की डॉन मीडिया ने आयोजित किया है।

वांगचुक बोले- शांति का संदेश अनदेखा करने से ऐसे हालात हुए वहीं, सोनम वांगचुक ने बुधवार को हिंसा पर कहा- यह लद्दाख और मेरे लिए सबसे दुखद दिन है। हम पिछले पांच सालों से शांति के रास्ते पर चल रहे हैं। हमने पांच बार भूख हड़ताल की और लेह से दिल्ली तक पैदल चले, लेकिन आज हम हिंसा के कारण शांति के अपने संदेश को विफल होते देख रहे हैं।

वांगचुक ने कहा- युवाओं की मौत से भूख हड़ताल का मकसद पूरा नहीं होता। इसलिए हम अपना अनशन तुरंत खत्म कर रहे हैं। मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि वह हमारे शांति के संदेश को सुने। जब शांति के संदेश की अनदेखी की जाती है, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। इन मांगों को लेकर सरकार के साथ बैठक दिल्ली में 6 अक्टूबर को होगी। साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटाते समय जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे। सरकार ने उस समय ही राज्य के हालात सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा दिया था।

आर्टिकल 370 हटने के बाद लद्दाख में विरोध शुरू

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना। लेह और कारगिल को मिलाकर लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बना था।

इसके बाद लेह और कारगिल के लोग खुद को राजनीतिक तौर पर बेदखल महसूस करने लगे। उन्होंने केंद्र के खिलाफ आवाज उठाई। बीते दो साल में लोगों ने कई बार विरोध-प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा मांगते रहे हैं, जिससे उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रही, जो आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिलता था।

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