Hindi News LIVE

शहीद कैप्टन की पत्नी ने बयां किया दर्द, सुनकर कांप जाएगा कलेजा…

Share News

दिल्ली. ‘हम अगले 50 साल तक किस तरह से जीवन गुजारेंगे, इसको लेकर अंशुमन से 18 जुलाई को लंबी बातचीत और चर्चा हुई थी. अगले ही दिन 19 जुलाई की सुबह को हमें फोन कॉल कर बताया गया कि वह शहीद हो गए.’ शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी स्मृति सिंह ने आखिरी बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि शहादत की सूचना फोन पर मिलने के बाद अगले 7-8 घंटों तक उन्हें यह भरोसा ही नहीं हुआ कि ऐसा कुछ हुआ है. स्मृति ने आगे कहा कि वह यह मानने के लिए तैयार नहीं थी कि अब उनके पति इस दुनिया में नहीं रहे.

पंजाब रेजिमेंट की 26वीं बटालियन के सेना मेडिकल कोर के कैप्टन अंशुमन सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. सफेद साड़ी पहने स्मृति सिंह ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शांतिकाल में दिए जाने वाले भारत के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र स्वीकार को किया. अंशुमन सिंह सियाचिन में अपने साथी सैनिकों को आग से बचाने के दौरान शहीद हो गए थे.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक छोटी क्लिप में स्मृति सिंह और कैप्टन सिंह की मां को राष्ट्रपति से पुरस्कार लेते दिखाया गया है. वीडियो में दिखाया गया है कि स्मृति अपने हाथ जोड़कर अपने दिवंगत पति के बलिदान का गुणगान करती हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ के एक पोस्ट में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना, उन्होंने एक बड़ी आग की घटना में कई लोगों को बचाने के लिए असाधारण बहादुरी और संकल्प का प्रदर्शन किया.”

19 जुलाई 2023 की सुबह करीब 3 बजे सियाचिन में भारतीय सेना के गोला-बारूद डंप में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई. जैसे ही कूड़े के ढेर में आग लगी, कैप्टन सिंह ने फाइबर-ग्लास की झोपड़ी के अंदर फंसे लोगों को बचाने में मदद की. जब आग पास के मेडिकल जांच शेल्टर तक फैल गई, तो कैप्टन सिंह ने अंदर रखी दवाओं को निकालने की कोशिश की. दुर्भाग्यवश, इस दौरान वह गंभीर रूप से जल गए और शहीद हो गए.

अपनी प्रेम कहानी को याद करते हुए स्मृति सिंह ने कहा, “हम अपने इंजीनियरिंग कॉलेज के पहले दिन मिले थे. यह पहली नज़र का प्यार था. एक महीने बाद उनका सेलेक्शन सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) में हो गया. वह बेहद तेज दिमाग वाला शख्स था. उसके बाद, यह आठ साल तक लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप रहा और फिर हमने सोचा कि अब हमें शादी कर लेनी चाहिए, इसलिए हमने शादी कर ली.”

स्मृति ने आगे कहा कि दुर्भाग्य से, शादी के दो महीने के भीतर ही उनकी पोस्टिंग सियाचिन में हो गई और 19 जुलाई की सुबह उनकी शहादत का दुखद समाचार मिला. उन्होंने आगे कहा, “आज तक मैं इस दुख से उबरने की कोशिश कर रहा हूं…यह सोचकर कि शायद यह सच नहीं है. अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है, तो मुझे एहसास हुआ कि यह सच है. लेकिन यह ठीक है, वह एक हीरो हैं. हम अपने जीवन को थोड़ा मैनेज कर सकते हैं क्योंकि उसने बहुत कुछ मैनेज किया था. उन्होंने अपना जीवन और परिवार त्याग दिया ताकि अन्य तीन परिवारों को बचाया जा सके.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *