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प्राइवेट कर्मचारियों के लिए नया कानून : यूपी में काम के घंटे से लेकर छुटि्टयां भी तय

यूपी में प्राइवेट कर्मचारी कहीं पिस तो नहीं रहा? उसके साथ कंपनी या मालिक अन्याय तो नहीं कर रहे? फिक्स घंटों से ज्यादा तो काम नहीं करना पड़ रहा? इस तरह के सवाल आम बात है। हर प्राइवेट कर्मचारी के अंदर इसको लेकर दर्द है।

इसीलिए यूपी सरकार ने दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 में 63 साल बाद बड़ा बदलाव किया है। अब यह कानून सिर्फ शहरों में ही नहीं, पूरे यूपी में लागू होगा। इस बदलाव का मुख्य मकसद बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को कानूनी सुरक्षा और उनके अधिकार दिलाना है।

दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम क्या होता है? यह कहां-कहां लागू होगा? महिलाओं और युवाओं से जुड़े क्या प्रावधान हैं?

किसी दुकान या बिजनेस, ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल देना इस कानून का उद्देश्य है। साथ ही कर्मचारियों को निश्चित समय और उचित सुविधाएं मिलें। बिजनेस मालिक भी तय नियम के तहत काम करें।

यह 1962 का एक्ट है। यूपी विधानसभा ने इस कानून को 1 नवंबर, 1962 को पारित किया था। यह वह दिन था, जब इसे औपचारिक रूप से मंजूरी मिली। अधिनियम को 26 दिसंबर, 1962 को यूपी सरकार के आधिकारिक गजट में प्रकाशित किया गया। तब से यह अधिनियम मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में लागू था। लेकिन, इसमें समय-समय पर इसमें संशोधन किए गए। 2025 में संशोधन के बाद यह कानून अब पूरे यूपी में लागू होगा।

नहीं। सरकार ने यह साफ कहा है कि यह कानून सिर्फ उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा, जहां कम से कम 20 कर्मचारी काम करते हैं। उससे कम वाले प्रतिष्ठानों पर यह ऐच्छिक रहेगा।

श्रम मंत्री अनिल राजभर के मुताबिक, इस बदलाव से छोटे प्रतिष्ठानों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। वे पहले की तरह ही आसानी से अपना काम चला सकेंगे। वहीं, बड़े प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को कानून के अनुसार सभी सुविधाएं और सुरक्षा मिलेंगी।

सरकार ने इस अधिनियम का दायरा बढ़ाते हुए क्लिनिक, पॉलीक्लिनिक, डिलीवरी होम, आर्किटेक्ट, टैक्स सलाहकार, टेक्निकल सलाहकार, सेवा प्रदाता, सर्विस सेंटर और ऐसे कई अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को भी इसमें शामिल किया है।

अब इन जगहों पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी सुरक्षित माहौल मिलेगा। काम के घंटे तय होंगे, छुट्टियां भी तय होंगी। साथ ही और अन्य कानूनी फायदे मिल सकेंगे।

सरकार ने महिला कर्मचारियों की रात की शिफ्ट के समय में बदलाव किया है। पहले महिलाओं के लिए रात की शिफ्ट रात 9 से सुबह 6 बजे तक मानी जाती थी। अब इसे बदलकर शाम 7 से सुबह 6 बजे तक कर दिया गया है। यानी महिलाएं शाम 7 बजे के बाद रात की शिफ्ट में मानी जाएंगी।

जहां भी कर्मचारी दिनभर खड़े होकर काम करते हैं, वहां अब नियोक्ता के लिए बैठने की व्यवस्था करना जरूरी होगा। जिससे कर्मचारी आराम कर सकें। इसके अलावा अब हर नियोक्ता को हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे नौकरी का साफ रिकॉर्ड रहेगा।

पहले किसी प्रतिष्ठान पर केस दर्ज करने से पहले सुधार नोटिस देने का नियम नहीं था। अब नया नियम यह है कि किसी भी कानूनी कार्रवाई से 15 दिन पहले नियोक्ता को सुधार का नोटिस देना जरूरी होगा। जिससे वह गलती ठीक कर सके।

संशोधन के बाद इसमें कर्मचारियों की डेली काम की टाइमिंग 8 घंटे से बढ़ाकर 9 घंटे कर दी गई है। हालांकि सप्ताह में कुल काम के घंटे अभी भी 48 घंटे ही रहेंगे। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

अब किसी भी कर्मचारी से एक दिन में अधिकतम 11 घंटे काम कराया जा सकता है। पहले यह सीमा 10 घंटे थी। ओवरटाइम में भी बदलाव किया गया है। पहले नियम के हिसाब से कोई भी कर्मचारी 3 महीने में कुल 125 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम नहीं कर सकता था।

अब यह सीमा 144 घंटे कर दी गई है। अगर कोई कर्मचारी ओवरटाइम करता है, तो हर घंटे के लिए उसकी सामान्य प्रति घंटे की सैलरी से 2 गुना पैसा दिया जाएगा।

यूपी सरकार ने दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम 1962 में सजा के प्रावधानों को सख्त कर दिया है। नए संशोधनों के तहत नियमों का उल्लंघन करने पर अब पहले की तुलना में ज्यादा जुर्माना लगेगा। पुराने कानून में किसी भी नियम का उल्लंघन होने पर नियोक्ता पर सिर्फ 100 से 500 रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता था। यह राशि बहुत कम मानी जाती थी। इससे नियमों का पालन कराने में कठिनाई होती थी।

अब सरकार ने जुर्माना राशि बढ़ा दी है। पहली गलती पर 2,000 रुपए तक का जुर्माना है। दूसरी बार गलती पर 10 हजार तक का जुर्माना है।

इस संशोधन में बदलाव से सरकार का लक्ष्य बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को मजबूत कानूनी संरक्षण देना है। जिससे उनके साथ होने वाले किसी भी शोषण या अनियमितता को रोका जा सके।

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