दिल्ली में आज रात से BS-3 गाड़ियों की NO ENTRY, बॉर्डर पर अलर्ट
दिल्ली में आज रात 12 बजे से यानी पहली नवम्बर से BS-3 गाड़ियों की नो-एंट्री होगी। दिल्ली से सटी यूपी की सीमाओं पर इसके लिए अलर्ट कर दिया गया है। गाजियाबाद जिला प्रशासन ने कहा- सीएनजी, एलएनजी, ईवी, बीएस- 4 वाहनों को ही यूपी की सीमा से दिल्ली में एंट्री दी जाएगी।
एडिशनल डीसीपी ट्रैफिक सच्चिदानंद और एआरटीओ मनोज मिश्रा को BS-3 वाहनों को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एआरटीओ की निगरानी में सात टीमें बनाई गई हैं। ये दिलशाद गार्डन, भौंपुरा, लोनी बॉर्डर, यूपी गेट, सूर्यनगर, तुलसी निकेतन, सोनिया विहार के अलावा नोएडा से आने वाले वाहनों को रोकने का काम करेंगी।
उधर, बीएस-3 वाहनों को लिस्ट बनाकर उनके मालिकों को मैसेज भेजे जा रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस ने कहा- बीएस 3 की सभी गाड़ियों पर रोक हैं, इनको लेकर दिल्ली में एंट्री करने का कोई प्रयास न करे।
बढ़ते प्रदूषण को लेकर लगाई रोक
एआरटीओ प्रवर्तन मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि सेंट्रल एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमिशन नई दिल्ली (CAQM) के आदेश के अनुसार दिल्ली में प्रवेश करने वाले गुड्स व्हिकल से होने वाले हाई पॉल्युशन एमिशन के कारण यह लागू रहेगा।
हालांकि, दिल्ली में भारत स्टेज-4 या अन्य अपग्रेडेड सभी वाहनों के अलावा सीएनजी, एलएनजी, इलेक्ट्रिक (ईवी) वाहनों की एंट्री होगी। प्रतिबंधित वाहनों की लिस्ट में मालवाहक गाड़ियां भी शामिल हैं।
दिल्ली में प्रवेश के हैं 8 रास्ते
प्रशासन ने कहा- गाजियाबाद व नोएडा के दिल्ली बॉर्डर पर सख्त निगरानी बरती जाएगी। दोनों जिलों में परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस एक नवंबर से अभियान चलाकर कार्रवाई करेगी। दिल्ली में गाजियाबाद और नोएडा से ही गाड़ियां प्रवेश करती हैं।
गाजियाबाद के एडिशनल डीसीपी ट्रैफिक सच्चिदानंद ने बताया कि गाजियाबाद में यूपी गेट, आनंद विहार, लोनी बार्डर, सूर्यानगर, अफसरा बार्डर, तुलसी निकेतन, सोनिया विहार से मुख्य प्रवेश करते हैं। गाजियाबाद से दिल्ली की सीमा 44 किमी लंबाई में टच होती है। जबकि नोएडा से दिल्ली की सीमा 6 किमी लंबाई में टच होती है।
बीएस का मतलब भारत स्टेज है। इसका उपयोग वाहनों में प्रदूषण मापने के लिए किया जाता है। देश में चलने वाले हर वाहन के लिए बीएस मानक जरूरी है। बीएस के साथ जो नंबर होता है, उसके जरिए ये पता लगाया जाता है कि वाहन कितना प्रदूषण करता है। क्या है बीएस-3?
देश में प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार की ओर से कई तरह के नियम लाए गए हैं। वाहनों में इसकी शुरुआत साल 2000 से हुई थी। तब बने हुए वाहनों को बीएस-2 कैटेगरी में रखा गया था। वहीं, साल 2000 से पहले के वाहनों को बीएस-1 कैटेगरी में और साल 2010 और उसके बाद बने वाहनों को बीएस-3 कैटेगरी में रखा गया है। बीएस-3 के अधिकतर वाहनों की समय सीमा भी पूरी हो चुकी है।
बीएस-4 में आते हैं ये वाहन
बीएस-3 के बाद सरकार की ओर से कई नियमों को और बेहतर किया गया, जिससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी लाई जा सके। इसके लिए कंपनियों की ओर से कई अपडेट किए गए। एक अप्रैल 2017 से देशभर में बीएस-4 चरण को लागू किया गया था। ऐसे में एक अप्रैल 2017 और उसके बाद बने वाहनों को बीएस-4 कैटेगरी में रखा गया है।


 
							 
							