तेज प्रताप यादव और अखिलेश के वीडियो कॉल से बिहार में सियासी खलबली
पटना. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से निकाले गए तेज प्रताप यादव और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के बीच वीडियो कॉल ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है. तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर इस बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि वह अपनी लड़ाई में अकेले नहीं हैं. खास बात यह है कि इस कॉल के दौरान अखिलेश यादव ने तेज प्रताप यादव से पूछा कि आप कहां से चुनाव लड़ोगे? इसका जवाब तेज प्रताप ने अपने अंदाज में दिया, हालांकि उन्होंने सीट का नाम स्पष्ट नहीं किया.
बातचीत के दौरान अखिलेश ने तेज प्रताप से पूछा, तुम कहां से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हो? इस पर तेज प्रताप ने जवाब दिया, चुनाव से पहले लखनऊ आकर आपसे मिलूंगा. आने से दो-तीन दिन पहले आपको बता दूंगा. बता दें कि तेज प्रताप ने अपने एक्स हैंडल पर इस बातचीत का जिक्र करते हुए लिखा, आज मेरे परिवार के सबसे प्यारे सदस्यों में से एक यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव जी से वीडियो कॉल पर लंबी बातचीत हुई, इस दौरान बिहार के राजनीतिक हालातों पर भी चर्चा हुई…. अखिलेश जी हमेशा से ही मेरे दिल के काफी करीब रहे हैं और आज जब मेरा हालचाल लेने के लिए उनका अचानक से कॉल आया तो ऐसा लगा जैसे मैं अपने इस लड़ाई में अकेला नहीं हूं….”
हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे चुनावी रणनीति मानते हैं. बीजेपी नेता नितिन नवीन तो इसे ‘राजनीतिक स्टंट’ करार दिया. यह दावा करते हुए कि लालू ने पहले भी तेज प्रताप की हरकतों को नजरअंदाज किया था. तेज प्रताप का अतीत जैसे जगदानंद सिंह से विवाद, होली पर सिपाही संग ठुमके या कोर्ट जाने की धमकी पार्टी के लिए किरकिरी का सबब रहा, लेकिन तब कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया. यह सवाल उठता है कि क्या लालू का यह फैसला वाकई नैतिकता पर आधारित है या चुनाव से पहले पार्टी की छवि सुधारने का प्रयास?
लालू और तेज प्रताप के रिश्ते में दरार गहरी है, लेकिन स्थायी टूटन की संभावना कम लगती है. साले साधु और सुभाष के मामले में वैचारिक मतभेद और बगावत थी, जबकि तेज प्रताप का मामला निजी जीवन से जुड़ा है. तेज प्रताप ने भतीजे इराज लालू यादव के जन्म पर तेजस्वी को बधाई दी, जिससे परिवार के प्रति उनका लगाव झलकता है. लालू परिवार में खुशी के मौके जैसे इराज का जन्म, पहले भी एकजुटता का कारण बने हैं.
आरजेडी के लिए तेज प्रताप का महत्व भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. वह बिहार सरकार में पूर्व स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्री रहे हैं और युवा वर्ग में उनकी पहचान है. उनका यूट्यूब चैनल ‘एलआर ब्लॉग’ और सोशल मीडिया उपस्थिति पार्टी के लिए प्रचार का माध्यम रही है. हां. लालू और तेज प्रताप के बीच सुलह की संभावना बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बढ़ सकती है, जब राजनीतिक दबाव कम होगा. लालू का इतिहास बताता है कि वह परिवार और पार्टी की एकता को प्राथमिकता देते हैं, बशर्ते उनकी शर्तें मान ली जाएं.