प्रयागराज : इंस्पेक्टर का लीवर फटा, हार्ट अटैक आया, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दावा
प्रयागराज, पापा रात में आ जाएंगे न? मुझे आपकी बहुत याद आ रही है…।’ 8 साल का बेटा वीर अपने पापा इंस्पेक्टर अनुराग शर्मा से यह कह ही रहा था, तभी उसके भाई 10 साल के शिव ने फोन छीन लिया। उसने कहा- पापा खिलौने लेकर आना…। अनुराग बस में थे। वह प्रयागराज अपने पत्नी-बच्चों से मिलने जा रहे थे।
अपने आखिरी सफर में अनुराग ने करीब 3 बार पत्नी और बच्चों से बात की। आखिर में पत्नी नेहा को फोन कर कहा- मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है। मैं सोने जा रहा हूं। ये वो आखिरी शब्द थे, जिसके बाद अनुराग की मौत की खबर उनके घर तक पहुंची।
अनुराग की चलती रोडवेज बस में हुई मौत की वजह तलाशते हुए प्रयागराज में डॉक्टरों ने पोस्टमॉर्टम किया। लोग हैरान थे कि सिर्फ 32 साल की उम्र में अनुराग कैसे सबको छोड़कर जा सकते हैं। वह यूपी के तेज तर्रार इंस्पेक्टरों में गिने जाते थे।
डॉक्टर ने बताया- अनुराग के लीवर में पस पड़ चुका था। लीवर फेल होने के बाद फट गया। उन्हें बहुत ज्यादा दर्द हुआ होगा। फिर हार्ट अटैक भी आ गया। यही उनकी मौत का कारण बना। डॉक्टर के मुताबिक, उनकी किडनी भी डैमेज हो चुकी थी।
चेहरा देखते ही चीख पड़ी नेहा रविवार सुबह जब अनुराग के घर में उनकी मौत की खबर पहुंची, तो उनकी पत्नी नेहा बेहोश हो गईं। होश में आई तो ACP कोतवाली मनोज सिंह से कहने लगीं- मैं उन्हें देखना चाहती हूं। पुलिस भी चाहती थी कि पत्नी शिनाख्त कर दें, तब पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया शुरू की जाए।
नेहा को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल लाया गया। पति का चेहरा देखते ही वह चीख पड़ी। महिला कॉन्स्टेबल और पुलिस कॉलोनी की महिलाएं उन्हें संभाल कर वापस ले आईं। इसके बाद नेहा के आंसू नहीं थमे। सहारनपुर से अनुराग के घरवाले पहुंचे, तब उन्हें संभाला गया। नेहा कहती हैं कि बस में बैठे तो बच्चों और मुझसे अनुराग ने बात की थी। पता नहीं था कि ये आखिरी बात होगी।
अनुराग के शव को सहारनपुर ले गए परिजन अनुराग सहारनपुर के रहने वाले थे। उनके पिता शिव कुमार शर्मा यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे। 2012 में उनकी मौत हो गई थी। मृतक आश्रित कोटे में अनुराग को सब इंस्पेक्टर बनाया गया था। 2013 में उनकी तैनाती बागपत में हुई थी।
2015 में अनुराग की शादी दिल्ली की रहने वाली नेहा के साथ हुई थी। अनुराग दो भाई, दो बहनों में दूसरे नंबर पर थे। पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे अनुराग के भाई अंकित शर्मा के आंसू भी नहीं थम रहे थे। उन्होंने मीडिया वालों से बात नहीं की। पोस्टमॉर्टम के बाद शव को यहां से सहारनपुर ले गए।
बागपत में 3 मुठभेड़ में शामिल रहे अनुराग अनुराग जब दरोगा थे, तभी से उनकी गिनती तेज तर्रार पुलिस वाले के तौर पर होती थी। प्रयागराज में एसीपी सिविल लाइंस श्वेताभ पांडेय की आंखें अनुराग को याद नम हो जाती हैं। वह कहते हैं कि अनुराग मेरे साथ बागपत में रहा है। अनुराग को बागपत में एसओजी प्रभारी, सर्विलांस सेल प्रभारी, स्वाट प्रभारी के अलावा तीन थानों का चार्ज मिल चुका है। यह समय 2015-16 से लेकर 2017 तक का था।
श्वेताभ पांडेय ने बताया कि अनुराग मेरे साथ 3 पुलिस मुठभेड़ में शामिल रहा था। बागपत में 30 हजार के इनामी राहुल खट्टा, 15 हजार के इनामी गौतम और इनामी ओम को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया गया था। अनुराग उस टीम में थे।
राहुल खट्टा गैंग के कई बदमाशों को अनुराग ने अरेस्ट किया था। अनुराग को मुठभेड़ और अरेस्टिंग पर मेडल मिला था। प्रयागराज पोस्टिंग के दौरान ही अनुराग इंस्पेक्टर बने थे। उन्हें प्रमोशन मिला तो प्रयागराज के बड़े थानों का चार्ज मिला।
जानिए कैसे चलती बस में गई अनुराग की जान प्रयागराज में 32 साल के इंस्पेक्टर की चलती बस में मौत हो गई। वह लखनऊ से प्रयागराज जा रहे थे। घटना का पता उस वक्त चला, जब बस प्रयागराज पहुंची। वह बस से नहीं उतरे। कंडक्टर जगाने आया तो उनका शरीर बेजान था। कंडक्टर ने हिलाया तो वह गिर गए।
तुरंत सीनियर अफसरों और पुलिस को सूचना दी। आनन-फानन में उनको SRN हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिवार में 10 और 8 साल के दो बेटे हैं।
बस में बैठे थे, सोए…और मौत अनुराग शनिवार देर शाम लखनऊ से मिर्जापुर जाने वाली बस में बैठे थे। प्रयागराज का टिकट लिया। थोड़ी देर बाद सो गए। रात ढाई बजे बस प्रयागराज पहुंची। उन्हें जीरो रोड बस स्टैंड पर उतरना था, लेकिन नहीं उतरे। इसके बाद कंडक्टर उनके पास आया तो घटना का पता चला।
पुलिस ने बताया कि चूंकि वह सादे कपड़ों में थे। इसलिए उनकी तुरंत पहचान नहीं हो पाई। जेब से मोबाइल और आईडी मिली। इसके बाद उनकी शिनाख्त हुई।