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प्रेमानंद महाराज की अब हर दिन हो रही डायलिसिस, पदयात्रा अनिश्चितकाल तक बंद

प्रेमानंद महाराज पिछले 3 दिनों से पदयात्रा पर नहीं निकल रहे। आश्रम ने एक सूचना जारी की। इसमें कहा गया- स्वास्थ्य कारणों से महाराज की पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए बंद की गई है। यह सुनते ही भक्तों की आंखों में आंसू आ गए।

वृंदावन के रमण रेती इलाके में स्थित केली कुंज आश्रम के रास्ते पर रोज भारी संख्या में भक्त पहुंच रहे। इस उम्मीद में कि शायद प्रेमानंद महाराज के दर्शन हो जाएं। भक्तों का कहना है कि महाराज के प्रवचन ने युवाओं के जीवन में बदलाव ला दिया है।

राधा रानी उन्हें जल्दी ठीक कर दें। 4 दिन पहले तक प्रेमानंद महाराज की उनके फ्लैट में हफ्ते में 5 दिन डायलिसिस होती थी। अब रोजाना हो रही है। किडनी संबंधी परेशानी से जूझ रहे संत प्रेमानंद महाराज को कब से यह समस्या हुई? उनकी दिनचर्या क्या है?

प्रेमानंद महाराज रात 2 बजे वृंदावन में श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी से रमणरेती स्थित आश्रम हित राधा केली कुंज के लिए निकलते हैं। 2 किमी पैदल चलकर जाते हैं। प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए रात को हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।

आम दिनों में यह संख्या करीब 20 हजार के करीब होती है। वीकेंड पर दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। वहीं, बड़े पर्वों पर 3 लाख से ज्यादा हो जाती है। बुधवार को इस रास्ते पर हजारों की संख्या में भक्त इंतजार में खड़े थे। मगर महाराज नहीं निकले। भक्त मायूस होकर लौट गए।

महाराज के दर्शन के लिए शुक्रवार को भी भक्त पहुंचे। मगर महाराज इस दिन भी नहीं पदयात्रा पर निकले। यह सिलसिला तीन दिन तक चला। फिर शनिवार को केली कुंज आश्रम ने पुष्टि करते हुए अनिश्चितकाल के लिए पदयात्रा बंद होने की सूचना जारी की।

कारण बताया गया महाराज जी का स्वास्थ्य सही नहीं है। जब भक्तों को उनके अस्वास्थ्य होने का पता चला, तो उनकी आंखों से आंसू झलक उठे। बुजुर्ग महिलाओं को संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन कराने के लिए आए थे। उन्होंने बताया- मैं जब यहां आया तो पता चला कि वह दर्शन नहीं दे रहे। मैं दुखी मन से वापस जा रहा हूं।

मैं 2 साल पहले तक बहुत शराब पीता था। एक दिन नशे में बस में बैठकर वृंदावन आया। बस में ड्राइवर और कंडक्टर बात कर रहे थे, कि इसी रास्ते से बाबा निकलते हैं। यह सुना तो मैं वहीं उतर गया। लोगों की भीड़ में मैं भी खड़ा हो गया।

रात 2 बजे करीब जब बाबा आए तो उन्होंने एक झलक देखा। इसके बाद क्या हुआ पता नहीं, आज तक मैंने शराब को हाथ नहीं लगाया। बाबा के दर्शन के बाद जीवन बदल गया। टूटा फूटा घर सही हो गया और इस साल गाड़ी भी खरीद ली।

वहीं आगरा से दर्शन करने पहुंचे मनोज ने बताया कि मैं रविवार को मथुरा आया था। महाराज के बारे में पता चला। राधा रानी उन्हें जल्दी ठीक करें।

2006 में पेट में दर्द हुआ तो पता चला किडनी खराब हैं संत प्रेमानंद महाराज को पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज की बीमारी है। उनको जानकारी 19 साल पहले 2006 में तब हुई जब उनके पेट में दर्द हुआ। वह कानपुर में डॉक्टर को दिखाने पहुंचे। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनको आनुवंशिक किडनी की बीमारी है।

फिर वह दिल्ली गए। वहां एक डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनकी दोनों किडनी खराब हैं। जीवन सीमित है। इसके बाद वह वृंदावन आ गए। पहले वह काशी रहे और शिव भक्ति की।

वृंदावन में उन्होंने राधा नाम का जप शुरू किया। तब से वह लगातार राधा नाम का जप कर रहे हैं। प्रेमानंद जी महाराज ने अपनी किडनी का नाम कृष्णा और राधा रखा है।

सोसाइटी में ही होती है डायलिसिस संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं। HR 1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं। 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है। इसी फ्लैट में उनका हफ्ते में 4 से 5 बार डायलिसिस होता है।

किडनी की बीमारी से जूझ रहे संत प्रेमानंद महाराज की पहले कभी-कभी डायलिसिस होती थी। फिर यह हफ्ते में होने लगी। इसके बाद हफ्ते में कभी 3 दिन, कभी 5 दिन और कभी कभी हर दिन होती है। डायलिसिस की यह प्रक्रिया 4 से 5 घंटे चलती है।

बताया जाता है कि महाराज की डायलिसिस पहले अस्पताल में होती थी। लेकिन बाद में इसके लिए मशीन और अन्य जरूरी सामान एक फ्लैट में ही रखवा दिया गया। जहां डॉक्टर उनकी डायलिसिस करते हैं। डायलिसिस के दौरान आधा दर्जन डॉक्टर की टीम वहां मौजूद रहती है।

संत प्रेमानंद महाराज की चिकित्सा सेवा के लिए कई डॉक्टर उनके भक्त बन गए। ऑस्ट्रेलिया में हार्ट स्पेशलिस्ट एक डॉक्टर इस कदर प्रभावित हुए कि वह अपनी प्रोफेसर पत्नी के साथ वहां से नौकरी छोड़कर वृंदावन आ गए और यहां की एक सोसायटी में फ्लैट लेकर रहने लगे। यह डॉक्टर प्रतिदिन महाराज जी की चिकित्सा सेवा में जाते हैं और उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं।

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