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Puja Khedkar की गई नौकरी, IAS से किया गया डिस्चार्ज

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दिल्ली. केंद्र सरकार ने पूर्व ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को तुरंत प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से सेवा मुक्त कर दिया है. आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी. खेडकर पर धोखाधड़ी करने और सिविल सेवा में चयन सुनिश्चित करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांगता कोटा लाभों का गलत तरीके से लाभ उठाने का आरोप है. हालांकि, खेडकर ने सभी आरोपों से इनकार किया है.

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने छह सितंबर, 2024 के आदेश के तहत आईएएस (परिवीक्षाधीन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा से मुक्त कर दिया. यह नियम केंद्र सरकार को यह अधिकार देते हैं कि यदि कोई ट्रेनी व्यक्ति “पुनर्परीक्षा में पास नहीं हो पाता या यदि केंद्र सरकार को यह विश्वास हो जाता है कि प्रोबेशनरी व्यक्ति सेवा में भर्ती के लिए अयोग्य था या सेवा का सदस्य होने के लिए अनुपयुक्त है”, तो वह उसे सेवा से मुक्त कर सकता है.

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने से रोक दिया था. खेडकर अपने कैडर राज्य महाराष्ट्र में एक ‘#svr आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं.

यह खबर ऐसे समय में आई है, जबकि दो दिन पहले 5 सितंबर को ही पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अपनी मेडिकल जांच कराने को तैयार हैं. अदालत आपराधिक मामले में खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार कर रही थी.

खेडकर की यह दलील दिल्ली पुलिस के इस आरोप के उत्तर में आई है कि उनका (खेडकर का) एक विकलांगता प्रमाण पत्र ‘जाली’ हो सकता है. उनके खिलाफ धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा दिव्यांगता कोटा का लाभ गलत तरीके से लेने का आरोप है. दिल्ली पुलिस के वकील ने दलील दी कि खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा देते समय ‘तथ्यों को छुपाया’ अन्यथा वह परीक्षा देने के पात्र नहीं थीं.

खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया कि पुलिस ने मामले में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिए दबाव नहीं डाला है, और वैसे भी इसकी आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि अधिकारियों के पास सभी रिकॉर्ड उपलब्ध हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को तय की है. उन्होंने इस बात को रिकॉर्ड में दर्ज किया कि पुलिस ने आगे की जांच के लिए 10 दिन और मांगे हैं.

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने अगस्त महीने में खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें फर्जी पहचान बताकर सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना भी शामिल था. दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.

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