रामभद्राचार्य बोले- हिंदुओं में बेटियां देवी, बाकी जगह बेबी
‘सनातन धर्म में बेटियां देवी होती हैं, जबकि अन्य धर्मों में बेटियों को बेबी कहा जाता है। हिंदू अपने बच्चों को मदरसे या कॉन्वेंट स्कूल की बजाय संस्कृत विद्यालय में पढ़ाएं। मनुस्मृति में जातियां बनाई गई थीं, लेकिन आज की राजनीतिक पार्टियों ने जातिवाद बना दिया। सत्ता हासिल करने के लिए दुष्प्रचार करते हैं।’
यह बात मेरठ में स्वामी रामभद्राचार्य ने रामकथा के दौरान कही। रविवार को उनकी कथा का 7वां दिन था। उन्होंने कहा कि आज बेटों को महाराणा प्रताप, शिवाजी और बेटियों को रानी लक्ष्मी बाई के संस्कार देने की जरूरत है।
अग्निकांड में मृत हुए लोगों की आत्मा को शांति मिली रामभद्राचार्य ने कहा- मेरठ की क्रांतिकारी भूमि पर राम कथा करके बहुत आनंद मिला है। पितृपक्ष के दौरान की कथा पूरी हुई है। 2006 में यहीं पर अग्निकांड हुआ था। इस कथा के जरिए अग्निकांड में मृत हुए लोगों की आत्मा को भी शांति मिली है।
रामभद्राचार्य ने कथा की शुरुआत चित्रकूट प्रसंग से की। चित्रकूट में राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान यमुना तट पर कुटिया बनाकर निवास किया था। स्वामी ने मारीच का प्रसंग भी सुनाया। मारीच ने स्वर्ण मृग बनकर सीता को भ्रमित किया था। मरते समय उसने राम की आवाज में लक्ष्मण को पुकारा।
कथा में शूर्पणखा प्रसंग का भी वर्णन किया गया। रावण की बहन शूर्पणखा ने राम-लक्ष्मण से विवाह का प्रस्ताव रखा था। प्रस्ताव ठुकराए जाने और नाक कटने के बाद उसने रावण को सीता-हरण के लिए उकसाया।
स्वामी ने शबरी की भक्ति का प्रसंग भी सुनाया। कहा कि शबरी ने राम के आगमन की प्रतीक्षा में लंबी तपस्या की थी। राम ने उनके चखकर दिए गए बेर बड़े प्रेम से खाए थे।
1: असभ्य लोगों ने मनुस्मृति का अपमान किया स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा- संस्कृत न जानने के कारण लोगों ने मनुस्मृति का अपमान किया। कुछ लोगों ने जो पढ़े-लिखे लोग हैं, जिन्होंने असभ्यता की। कुछ लोगों ने मनुस्मृति को जलाया। इससे मनुस्मृति का कुछ नहीं बिगड़ा। अभी भारत में ऐसे सपूत हैं। चाहे जितनी मनुस्मृति जला दो हम फिर लिखवा देंगे।
स्वामी जी ने कहा कि यह सिंह का आसान सिंहासन है। मेरा जन्म हुआ है उत्तर प्रदेश के जौनपुर में। जौनपुर के कहावत है कि जौनपुर की महिलाएं सियार को जन्म नहीं देती, सिंह को जन्म देती हैं।
2: उत्तर प्रदेश मिनी पाकिस्तान लगता है स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा- आज हिंदुओं पर संकट है। अपने ही देश में हम हिंदू धर्म को उतना न्याय नहीं दे पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश मिनी पाकिस्तान लगता है। अब हमें मुखर होने की जरूरत है। प्रत्येक घर में हिंदू धर्म की पाठशाला बनानी पड़ेगी। प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों को हिंदू धर्म की शिक्षा देनी होगी।
हिंदू या सनातन धर्म यह एक ही है। हम वसुदेव कुटुंबकम में जीते हैं। हमारा किसी से बैर नहीं। अब हम किसी को भूल से भी नहीं छेड़ेंगे, अगर कोई छेड़ेगा तो छोड़ेंगे भी नहीं। ऑपरेशन सिंदूर सदा याद रखा जाएगा। बिना किसी अपराध के हिंदुओं को मारा जा रहा है। ऐसे लोगों को समाप्त कर देना चाहिए।
3: हिंदुओं के तीन बच्चे होने चाहिए
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि हिंदुओं के तीन बालक अवश्य होने चाहिए। मनुस्मृति सबसे प्राचीन ग्रंथों में से एक है, जो अखंड भारत की कल्पना करता है। मनु ने कभी नारी का अपमान नहीं किया। उनके अपने दो पुत्र और तीन पुत्रियां थीं। स्वामी जी ने कहा कि यही कारण है कि हिंदू परिवारों में भी कम से कम तीन संतानें होनी चाहिए।
आज हिंदू समाज घट रहा है। यदि प्रत्येक परिवार केवल एक या दो बच्चों पर रुक जाएगा तो आने वाले समय में समाज का अनुपात बिगड़ जाएगा और रिश्तों का ताना-बाना कमजोर पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि कम से कम तीन बच्चे अवश्य होने चाहिए ताकि माता-पिता की देखभाल हो सके और समाज मजबूत बन सके।\
4: जिसको मरना है मरो टेंशन, मैं टेंशन नहीं लेता जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि जिसको मरना है मरो। मैं टेंशन नहीं लेता। टेंशन तब दूर होगी, जब भगवान से हमारा अटेंशन होगा। अटेंशन कब खोजा, जब हमारा भगवान से इंटरनल रिलेशन होगा ये कब होगा जब ऐसे आयोजनों में तुम्हारा एडमिशन होगा और ये एडमिशन कब होगा जब ऐसे संतजनों से कमीशन होगा।
उन्होंने कहा कि भगवान राम टू इन वन हैं अवतार भी हैं और अवतारी भी हैं।
5: भारतीय संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत पढ़ना जरूरी श्रीराम कथा के दूसरे दिन स्वामी रामभद्राचार्य ने वृंदावन के प्रेमानंद महाराज पर निशान साधा। कहा- जो लोग उनके ऊपर आरोप लगाते हैं, वह निंदा करना ही नहीं जानते। उन्होंने संस्कृत को लेकर बड़ी बात कही। बोले- भारतीय संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत आनी चाहिए। जब तक संस्कृत नहीं पढ़ेंगे, तब तक अपनी संस्कृति को समझ नहीं पाएंगे।
उन्होंने कहा- हर व्यक्ति को अब संस्कृत पढ़ना होगा। उन्होंने मेरठ को क्रांतिधरा बुलाते हुए कहा- जिस तरह एक ब्राह्मण ने यहां चर्बी वाले कारतूस का विरोध कर क्रांति का बिगुल फूंका था, वह भी आज इस धरती से यह घोषणा करते हैं कि थोड़ी देर प्रतीक्षा करो, इस देश से गोवध बंद होकर रहेगा।