संत रामपाल जी महाराज ने खोला : जन्म-मृत्यु का रहस्य
सागर की तहसील रहली स्थित राजाराम पैलेस गार्डन में बीते रविवार को संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य मे एक दिवसीय सत्संग का आयोजन किया गया सत्संग LED TV के माध्यम से हुआ। जहाँ तहसील रहली, गढ़ाकोटा, केसली और देवरी से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु सत्संग सुनने पहुँचे।
सत्संग में संत रामपाल जी महाराज ने ब्रम्हा जी, विष्णु जी और शिव जी की उत्पत्ति पर प्रकाश डाला
कबीर सागर में त्रिदेव की उत्पत्ति का प्रमाण देते हुए बताया कि पवित्र कबीर सागर, अध्याय ज्ञानबोध के पृष्ठ 21-22 पर परमेश्वर कबीर जी ने अपने परम शिष्य धर्मदास जी को सृष्टि रचना के विषय में बताया है –
अब मैं तुमसे कहूं चिताई। त्रयदेवनकी की उत्पत्ति भाई।।
कुछ संक्षेप कहूं गोहराई। सब संशय तुम्हरे मिट जाई।।
माँ अष्टंगी पिता निरंजन। वे जम दारूण वंशन अंजन।।
धर्मराय कीन्हें भोग विलासा। माया को रही तब आशा।।
तीन पुत्र अष्टंगी जाये। ब्रह्मा विष्णु शिव नाम धराये।।
तीन देव संसार चलाये। इनमें यह जग धोखा खाये।।
संत जी ने कबीर साहेब की वाणी बोली-
तीन गुणों की भक्ति में, भूल पड़ो संसार ।
कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरे पार ।।
आगे संत जी ने श्रीमद्भगवद्गीता में तीनों देवताओं की उत्पत्ति का प्रमाण दिया जिसमें बताया की श्रीमद्भगवद्गीता गीता अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म कहता है कि रज् (रजगुण ब्रह्मा), सत् (सतगुण विष्णु), तम् (तमगुण शंकर) तीनों गुण प्रकृति अर्थात् दुर्गा देवी से उत्पन्न हुए हैं। प्रकृति (दुर्गा) तो सब जीवों को उत्पन्न करने वाली माता है। मैं (गीता ज्ञान दाता ब्रह्म काल) सब जीवों का पिता हूँ। मैं दुर्गा (प्रकृति) के गर्भ में बीज स्थापित करता हूँ जिससे सबकी उत्पत्ति होती है। ये तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) ही जीवात्मा को शरीर में बाँधते हैं यानी सब जीवों को काल के जाल में फंसाकर रखने वाले ये ही तीनों देवता हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी ने तीन गुण कौन है इसका प्रमाण दिया श्री मार्कण्डेय पुराण के अध्याय 25 में 131 पृष्ठ पर कहा गया है कि “रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शंकर, ये तीनों ब्रह्म की प्रधान शक्तियाँ है और ये ही तीन देवता हैं तथा ये ही तीन गुण हैं।”
आगे संत रामपाल जी महाराज ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश की जन्म-मृत्यु होती है इसका प्रमाण भी दिया जिसमें संत जी ने बताया की देवीभागवत पुराण के तीसरा स्कंद, अध्याय 5 पृष्ठ 123 पर भगवान विष्णु, दुर्गा जी की स्तुति करते हुए कहते है कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर तुम्हारी कृपा से विद्यमान हैं। हमारा तो आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होती है। हम नित्य (अविनाशी) नहीं हैं। तुम ही नित्य हो, जगत् जननी हो, प्रकृति और सनातनी देवी हो।
भगवान शंकर ने कहा है कि यदि भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु तुम्हीं से उत्पन्न हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाला मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हों। इस संसार की सृष्टी-स्थिति-संहार में तुम्हारे गुण सदा सर्वदा हैं। इन्हीं तीनों गुणों से उत्पन्न हम, ब्रह्मा-विष्णु तथा शंकर नियमानुसार कार्य में तत्त्पर रहते हैं।
इन सभी प्रमाणों से संत रामपाल जी ने स्पष्ट किया कि ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी की जन्म-मृत्यु होती है यह अजन्मा नहीं है।
सभी श्रद्धालुओं ने सत्संग शांतिपूर्वक सुना और संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताये ज्ञान की सराहना भी की।
सत्संग में आये सभी श्रद्धालुओं के लिए चाय बिस्किट की व्यवस्था की गई।

