यूपी सरकार के अफसरों को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, पूछा- कुशीनगर की मस्जिद क्यों तोड़ी
कुशीनगर में मदनी मस्जिद तोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के अफसरों को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए?
कोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक किसी भी ढांचे को नहीं तोड़ा जाएगा। यह कोर्ट के पहले के आदेश की अवहेलना का गंभीर मामला माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर, 2024 को बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने उसी दिन साफ आदेश दिया था कि बिना पहले सूचना और सुनवाई का मौका दिए किसी भी तरह की तोड़फोड़ नहीं की जा सकती। मामला हाटा नगरपालिका क्षेत्र का है।
मुस्लिम पक्ष के वकील अब्दुल कादरी ने बताया- मदनी मस्जिद एक प्राइवेट लैंड है। इसका गाटा नंबर 208 है। यह आजमातुन निशा ने रजिस्टर्ड बैनामे से खरीदा था। उसी के अंदर यह मस्जिद बनी है। इसके लिए गवर्नमेंट अथॉरिटी में एक बार पहले मामला चल चुका है। हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में ऑर्डर किया था। 22 साल के बाद दिसंबर, 2024 में एक व्यक्ति ने एप्लिकेशन दी और प्रशासन ने एक्टिव होकर इंस्पेक्शन शुरू कर दिया। जांच में भी सामने आया कि हमारी पार्टी ने किसी सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं किया।
उन्होंने कहा- जिस जमीन की बात हो रही है, उस पर पहले से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जरिए स्टे लगा है। उसके बाद भी हमें टाइम नहीं दिया। प्रशासन ने 21 दिसंबर, 2024 को जो नोटिस दिया था, उसे हमारी पार्टी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया है। वहां से 3 हफ्ते का स्टे ऑर्डर खत्म होते ही बुलडोजर और जेसीबी लगाकर मस्जिद की एक पोजीशन को तोड़ दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर, 2024 के ऑर्डर में डिमॉलिशन के खिलाफ जो फैसला दिया था, उसे भी नजरअंदाज किया गया। पर्सनल हियरिंग का टाइम नहीं मिला। कोई कारण नहीं दिया गया, डिमॉलिशन ऑर्डर पास नहीं हुआ। इस डिमॉलिशन के खिलाफ हमने पिटिशन फाइल की थी। इसमें डीएम, एसपी, सीओ, एसडीएम हाटा, नगर पालिका हाटा के ईओ (जिनकी निगरानी में यह सब हुआ) को पार्टी बनाया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर करते हुए इन लोगों को नोटिस जारी किया है।
कुशीनगर सांसद विजय दुबे बोले- मदनी मस्जिद ध्वस्त करने का फैसला सही कुशीनगर सांसद विजय दुबे का कहना है- मदनी मस्जिद ध्वस्त करने का फैसला सही है। पिछली सरकारों में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके मस्जिद का निर्माण किया गया था। इसे हटाना जरूरी था। कुछ लोग तुष्टीकरण की नीति से सत्ता हासिल करने का प्रयास करते हैं। लेकिन, नगर पालिका की जमीन पर अवैध निर्माण नहीं किया जा सकता।
मदनी मस्जिद पर 9 फरवरी, 2025 को बड़ी कार्रवाई की गई। प्रशासन ने स्वीकृत नक्शे से ज्यादा निर्माण का हवाला देते हुए 9 बुलडोजरों की मदद से मस्जिद के 11 पिलर तोड़ दिए। इस कार्रवाई में 13 थानों की पुलिस फोर्स, 50 से अधिक नगर निकाय कर्मचारी और भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया।
साल 1992 में खरीदी गई जमीन पर 1999 में बनी इस चार मंजिला मस्जिद में कुल 90 पिलर थे। मस्जिद की ऊंचाई 50 फीट थी। जांच में पाया गया कि मस्जिद का दक्षिणी हिस्सा स्वीकृत नक्शे से 14 फीट ज्यादा था। सुरक्षा को देखते हुए पूरे क्षेत्र में कड़ी निगरानी रखी गई और मस्जिद के पिलर तोड़ने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी की गई।
कुशीनगर में मस्जिद ध्वस्तीकरण के मामले में मस्जिद कमेटी का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें नोटिस देने के बाद ही मस्जिद तोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी। यह असंवैधानिक है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि मस्जिद कमेटी को 3 बार नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
इस मामले में राजनीतिक पार्टियों ने भी योगी सरकार को घेरा है। सपा, कांग्रेस और भीम आर्मी ने साफ कहा कि वे मस्जिद कमेटी के साथ हैं। सदन से कोर्ट तक उनका समर्थन करेंगे। वहीं अब अतिक्रमण हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करने पर कोर्ट की नोटिस ने मामले को फिर गर्म कर दिया।