नेपाल की पहली महिला पीएम सुशीला कार्की पर युवाओं की उम्मीदें टिकी
काठमांडू: नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों और राजनीतिक उठापटक के बाद पहली महिला प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने अंतरिम सरकार की बागडोर संभाली है. सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के आरोपों से भड़के Gen Z आंदोलन ने पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली को सत्ता से बेदखल कर दिया. अब 73 वर्षीय पूर्व चीफ जस्टिस कार्की पर उम्मीदों और चुनौतियों का पहाड़ है. सुशीला कार्की की ताजपोशी नेपाल के इतिहास में मील का पत्थर है. लेकिन अब उनके सामने यह साबित करने की जिम्मेदारी है कि वह सिर्फ ‘पहली महिला पीएम’ नहीं, बल्कि असली बदलाव की प्रतीक हैं. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसद भंग कर 5 मार्च को चुनाव का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि देश कठिन दौर से गुजरकर अब लोकतांत्रिक रास्ते पर लौट रहा है. लेकिन विपक्ष और वकीलों के संगठनों ने इस कदम को असंवैधानिक करार दिया है. यानी राजनीतिक अस्थिरता अभी खत्म नहीं हुई.
नेपाल की नई पीएम सुशीला कार्की से Gen Z की उम्मीदें
कई युवाओं ने IANS से बातचीत में कहा कि कार्की भ्रष्ट नेताओं से अलग हैं. दिपेंद्र थामा नाम के छात्र ने कहा कि इस बार बदलाव असली होगा क्योंकि युवाओं की आवाज अब कोई सरकार दबा नहीं पाएगी. उनका मानना है कि नेताओं में डर बैठ गया है कि अगर वे भ्रष्टाचार करेंगे तो उन्हें तुरंत सड़क पर विरोध का सामना करना पड़ेगा. एक अन्य युवा ने कहा कि नेपाल में विकास की असीम संभावनाएं हैं, लेकिन भ्रष्टाचार और नशे ने युवाओं को बर्बाद किया. अब कार्की पर जिम्मेदारी है कि वे पारदर्शिता लाएं और युवाओं को मौका दें.
नेपाल पीएम सुशीला कार्की के सामने 5 बड़े चैलेंज
- राजनीतिक स्थिरता: मार्च 2026 के चुनाव तक स्थिर सरकार चलाना सबसे कठिन काम होगा. संसद भंग करने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है. अगर कार्की इस अस्थिरता को मैनेज नहीं कर पाईं, तो फिर से हिंसा भड़क सकती है.
- भ्रष्टाचार खत्म करना: Gen Z आंदोलन की जड़ भ्रष्टाचार था. नेपाल के युवा साफ-सुथरी राजनीति चाहते हैं. कार्की को साबित करना होगा कि वह सिर्फ चेहरा बदलने नहीं, सिस्टम बदलने आई हैं.
- अर्थव्यवस्था और पर्यटन को पटरी पर लाना: प्रदर्शनों में होटल इंडस्ट्री को 25 अरब नेपाली रुपए का नुकसान हुआ. काठमांडू, पोखरा और अन्य शहरों के दर्जनों होटल जला दिए गए. पर्यटन नेपाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन 15,000 पर्यटकों में से आधे लौट चुके हैं. होटल उद्योग पैकेज और टैक्स छूट की मांग कर रहा है. कार्की को तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे.
- Gen Z को साथ लेना: युवाओं ने ही आंदोलन खड़ा किया और ओली को गिराया. हर फैसला अब उनकी नजर में होगा. अगर सरकार उनकी अपेक्षाओं को पूरा नहीं करती, तो फिर से सड़कों पर बवाल तय है.
- चीन का बढ़ता असर और भारत से संतुलन: नेपाल की भौगोलिक स्थिति उसे भारत-चीन के बीच बैलेंस की चुनौती देती है. चीन हाल के सालों में नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. कार्की को भारत के साथ ऐतिहासिक रिश्तों को मजबूत रखते हुए चीन की पकड़ को नियंत्रित करना होगा. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और इसे महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बताया.
सामान्य होती जिंदगी, लेकिन दर्द बाकी
काठमांडू और दूसरे शहरों में धीरे-धीरे सामान्य जीवन लौट रहा है. कर्फ्यू हट चुका है, बसें और टैक्सियां चल रही हैं. लेकिन प्रधानमंत्री आवास के बाहर उन परिवारों का प्रदर्शन जारी है, जिन्होंने आंदोलन में अपने प्रियजन खोए. वे शहीद का दर्जा और मुआवजे की मांग कर रहे हैं. होटल एसोसिएशन का कहना है कि हजारों स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों की नौकरी संकट में है. कारोबारियों ने सरकार से सुरक्षा और भरोसेमंद माहौल की गारंटी मांगी है.
भारत ने साफ कहा है कि वह नेपाल के साथ खड़ा है. पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश साझा इतिहास और संस्कृति से जुड़े हैं और भारत नेपाल की शांति और स्थिरता चाहता है. यह संदेश कार्की के लिए भरोसे का सहारा है, लेकिन असली परीक्षा नेपाल के भीतर होगी.