सावन में शिव जी को जल क्यों चढ़ाते हैं? जानें
सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. शिवलिंग का जलाभिषेक करने से महादेव खुश होते हैं और अपने भक्तों को जल्द ही शुभ फल प्रदान करते हैं. सावन के हर दिन, सावन सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष और सोमवार व्रत पर शिव जी को जल चढ़ाना उत्तम फलदायी होता है. शिव जी पर जल चढ़ाने का भी एक नियम है, जिसका पालन करना जरूरी होता है. यदि आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आपको दोष लग सकता है. हालांकि भोले भंडारी अपने भक्तों की भावनाओं को देखते हैं और उस अनुसार फल देते हैं.
आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि भगवान शिव को जल क्यों चढ़ाते हैं? शिव पुराण में भगवान शिव को जल अर्पित करने के महत्व के बारे में बताया गया है. उसकी कथा के अनुसार, जब देव लोक यानि स्वर्ग श्रीहीन हो गया तो देवताओं को समुद्र मंथन का सुझाव मिला. सभी देवता अकेले समुद्र मंथन नहीं कर सकते थे तो उन्होंने असुरों को भी इसमें शामिल किया.
असुरों और देवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उससे सबसे पहले हालाहल यानि विष निकला. उस विष से पूरे संसार के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे. कोई भी इस संकट की घड़ी में आगे नहीं आया तो इसका जिम्मा महादेव ने उठाया. सृष्टि के कल्याण के लिए भगवान शिव शंभू ने उस विष का पान किया. उस विष को कंठ में धारण करने से शिवजी नीलंकठ कहलाए.
विष काफी जहरीला था, भगवान शिव पर उसका कोई दुष्प्रभाव न हो, इसके लिए आदिशक्ति जगदम्बा ने शिव जी का जल से अभिषेक किया. यह देखकर अन्य सभी देवी और देवताओं ने शिव जी को जल चढ़ाया. जल चढ़ाने से शिव जी को शीतलता मिली और विष का प्रभाव क्षीण हो गया और महादेव प्रसन्न हो गए. इस घटना के बाद से ही भगवान शिव को जल चढ़ाने की परंपरा शुरु हुई. जल अर्पित करने से भगवान शिव खुश होते हैं.
1. जिस दिन आपको शिवजी को जल चढ़ाना है, उस दिन सुबह में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं. साफ कपड़े पहनें. जल से आचमन करके खुद की शुद्धि कर लें.
2. इसके बाद अपने ही घर का एक साफ लोटा लें या कोई अन्य पात्र लें. उसमें गंगाजल और साफ पानी भर लें. अब उसमें अक्षत्, चंदन, फूल आदि डाल दें.
3. फिर शिव मंदिर में या पूजा घर में शिवलिंग के पास जाएं. पूर्व दिशा या ईशान कोण में मुख करके खड़े हों. उस बर्तन को दोनों हाथों से पकड़कर जल अर्पित करें.
4. शिवलिंग पर जल एक ही बार में तीव्र गति से नहीं चढ़ाना है. जल की पतली धारा को धीरे-धीरे शिवलिंग पर अर्पित करना है. सीधे खड़े होकर जल न चढ़ाएं, थोड़ा झुककर जल अर्पित करें ताकि शिवलिंग पर गिरने वाला जल आपके पैरों पर न पड़े.
5. शिवलिंग का जलाभिषेक करते समय ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें. जब जल खत्म हो जाए तो महादेव को प्रणाम करें.
6. उसके बाद शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक के फूल, शमी के पत्ते, शहद, अक्षत्, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें.
7. मंदिर में शिवलिंग के पास से थोड़ा अलग हट जाएं. बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें, उसके बाद शिव जी की आरती करें. सबसे अंत में भगवान भोलेनाथ से पूजा और जलाभिषेक में गलतियों या कमियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें. उसके बाद अपनी मनोकामना उनके समक्ष व्यक्त कर दें.