छठ पर्व में नारंगी टीका नाक से क्यों लगाती हैं महिलाएं?
Long Orange Tika During Chhath Puja: आज से लोक पर्व छठ(Chhath Puja) प्रारंभ हो रहा है. इस त्योहार में व्रती कठोर व्रत रखते हैं और पानी में उतर को उगते डूबते सूरज को अर्घ देकर अर्ध देते हैं. इस दौरान महिलाएं नाक से सिंदूर लगाती हैं. दरअसल, छठ पूजा के मौके पर महिलाओं की पारंपरिक सजावट में सिंदूर का विशेष स्थान होता है. आमतौर पर महिलाएं लाल सिंदूर लगाती हैं, जो वैवाहिक जीवन और प्रेम का प्रतीक माना जाता है. लेकिन छठ पर्व पर खासतौर पर नारंगी सिंदूर का प्रयोग किया जाता है, जिसे नाक से पहनने की परंपरा सदियों पुरानी है. इस सिंदूर से जुड़ी मान्यताएं, धार्मिक महत्ता और रीति-रिवाज इसे बेहद खास बनाते हैं. आइए जानते हैं कि लाल और नारंगी सिंदूर में क्या अंतर है और छठ पूजा में नारंगी सिंदूर को नाक से पहनना क्यों शुभ माना जाता है.
लाल सिंदूर सामान्य दिनों में विवाहिता महिलाओं का श्रृंगार माना जाता है. यह प्रेम, समर्पण और पति के प्रति निष्ठा का प्रतीक है. वहीं नारंगी सिंदूर को पवित्रता, ऊर्जा और आध्यात्मिकता से जोड़ा जाता है. छठ पूजा सूर्य देव की उपासना का पर्व है और नारंगी रंग सूर्य का ही प्रतीक माना जाता है. यही वजह है कि इस पूजा के दौरान महिलाएं लाल के बजाय नारंगी सिंदूर का प्रयोग करती हैं. यह रंग सूर्य देव की आभा और तेज का प्रतीक है जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत लाता है.
पूर्वांचल और बिहार के कई हिस्सों में छठ के दौरान महिलाएं सिंदूर को सिर्फ मांग में नहीं, बल्कि नाक से लगाकर माथे तक बढ़ाती हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा बनी रहती है. नाक से सिंदूर लगाना यह दर्शाता है कि महिला पूरी श्रद्धा से सूर्य देव को अर्घ्य दे रही है और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रही है. इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी माना जाता है, नाक से माथे तक का हिस्सा ‘अजना चक्र’ से जुड़ा होता है, जिसे सक्रिय करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.

