बंगाल-बिहार से ट्रेनों में गाजियाबाद लाए गए बच्चे, नौकरी का लालच देकर कटवा रहे थे पशु
गाजियाबाद, स्लॉटर हाउस से मुक्त कराए गए 57 लड़के-लड़कियों को बाल विकास समिति (CWC) के सामने पेश करने के बाद बाल सुधार गृह भेज दिया गया है। ये सभी बच्चे 10-15 हजार रुपए की नौकरी के लालच में पश्चिम बंगाल और बिहार से ट्रेनों के जरिये लाए गए थे। यहां उनसे पशु कटवाए जा रहे थे। इन बच्चों के परिवार की माली हालत बेहद खराब है। कईयों के परिजनों ने कबूल किया है कि उन्होंने खुद ही इन्हें काम करने दिल्ली की तरफ भेजा था।
मुक्ति फाउंडेशन ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत की थी कि गाजियाबाद में मसूरी स्थित स्लॉटर हाउस एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड में बंगाल के 40 नाबालिग बच्चों को लाकर बालश्रम कराया जा रहा है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस संबंध में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर और डीएम से बात की। इसके बाद आयोग से एक टीम गाजियाबाद भेजी गई।
यहां आयोग की टीम, गाजियाबाद पुलिस, प्रशासन, चाइल्डलाइन, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने बुधवार को स्लॉटर हाउस पर छापेमारी की। करीब 3 घंटे तक कार्रवाई चली। इसमें 26 लड़के और 31 नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया गया।
गाजियाबाद पुलिस के ADCP (क्राइम) सच्चिदानंद ने बताया कि ज्यादातर लड़के-लड़कियां पश्चिम बंगाल और बिहार के रहने वाले हैं। इन बच्चों से बहुत ही अमानवीय तरीके से स्लॉटर हाउस के अंदर काम कराया जा रहा था। मासूम हाथों से पशु कटवाए जा रहे थे। टीमें स्लॉटर हाउस के अंदर का माहौल देखकर पूरी तरह दंग रह गईं।
कई बच्चों ने कुबूला कि उन्हें ये काम पसंद नहीं था, फिर भी जबरन पशु कटान कराया जाता था। जो बच्चा इस काम को करने से मना करता था, उसका उत्पीड़न होता था। इन बच्चों के परिजनों से संपर्क किया जा रहा है। पता किया जा रहा है कि उन्होंने इन बच्चों को मर्जी से स्लॉटर हाउस में भेजा था या फिर बंधक बनाकर यहां काम कराया जा रहा था। परिजनों के यहां आने तक ये लड़के-लड़कियां अलग-अलग बाल सुधार गृहों में रहेंगे।
इस पूरे मामले में बाल संरक्षण अधिकारी जितेंद्र कुमार ने एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड के पांच मालिक-संचालकों पर थाना मसूरी में मुकदमा दर्ज कराया है। इसमें यासीन कुरैशी, पत्नी तसलीम कुरैशी, पुत्र जावेद कुरैशी सहित परवेज कुरैशी को आरोपी बनाया है।