Delhi Schools Fee Hike : फीस बढ़ाने वाले स्कूलों की खैर नहीं, लगेगा 10 लाख का जुर्माना
Delhi Schools Fee Hike : दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की ओर मनमानी फीस वृद्धि के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है. अब मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर तगड़ा जुर्माना लगेगा. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट बैठक हुई. जिसमें दिल्ली एजुकेशन (शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक 2025 को मंजूरी दी गई.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में बच्चों और अभिभावकों के बीच फीस को लगातार पैनिक की स्थिति बनी हुई थी. सरकार ने इस गंभीर मसले पर संज्ञान में लिया, जिलाधिकारियों को स्कूलों में भेजा गया और रिपोर्ट मंगाई गई. दुर्भाग्य से पिछली सरकारों ने कभी इस दिशा में कोई ठोस प्रावधान नहीं किया. हमारी सरकार ने साहसिक कदम उठाया है और सभी 1677 स्कूलों के लिए ड्राफ्ट तैयार किया गया है.
दिल्ली एजुकेशन (शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक 2025 में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने के खिलाफ तगड़े जुर्माने और कार्रवाई का प्रावधान है. कोई प्राइवेट स्कूल बगैर समिति की अनुमति के फीस बढ़ाता है तो 1 लाख से 10 लाख तक का जुर्माना लगेगा. यदि फीस विवाद के चलते बच्चे को स्कूल से निकाला जाता है तो प्रति बच्चा 50 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. 10 दिन में सुधार नहीं होता है तो जुर्माना डबल हो जाएगा. 20 दिन में भी कार्रवाई नहीं होती है तो सरकार स्कूल का टेकओवर कर लेगी.
बनेगी तीन स्तरीय समिति
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि दिल्ली एजुकेशन (शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक 2025
से अब प्रदेश के 1677 स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके माता-पिता को राहत मिलेगी. फीस बढ़ाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी. विधेयक के अनुसार तीन स्तरीय समिति बनाई जाएगी. जो इस प्रकार हैं-
स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी
स्कूल प्रतिनिधियों के साथ DOE (Education Department) का नामांकित सदस्य
पांच अभिभावक (लॉटरी सिस्टम से चयनित)
कम से कम दो महिलाएं और एक SC/ST प्रतिनिधि अनिवार्य.
समिति तीन साल के लिए बनेगी और 18 बिंदुओं पर निर्णय लेगी.
यह कमेटी 31 जुलाई तक गठित कर दी जाएगी और 30 दिनों में फैसला देना होगा.
डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी
यदि स्कूल लेवल पर निर्णय नहीं होता, तो मामला जिला स्तर पर जाएगा.
यह कमेटी 30–45 दिनों में निर्णय देगी.
स्टेट लेवल कमेटी
यदि जिला स्तर पर भी फैसला न हो, तो मामला राज्य स्तर पर जाएगा.
साथ ही यदि 15% अभिभावक स्कूल कमेटी के फैसले से असंतुष्ट हों, तो वे सीधे जिला स्तर पर जा सकते हैं.