गोरखपुर : 28 बच्चों में मिला कोरोना, 29 में स्वाइन-फ्लू, RMRC के रिसर्च में खुलासा
गोरखपुर में कोरोना वायरस भले ही नियंत्रण में हो, लेकिन इसका खतरा खत्म नहीं हुआ है। गोरखपुर के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (RMRC) के एक अध्ययन ने चौंकाने वाला खुलासा है। यह रिपोर्ट 10 दिसंबर को सामने आई है।
रिसर्च में पाया गया है कि सार्स-कोव-2 (कोरोना वायरस) बच्चों के फेफड़ों में रहकर उन्हें निमोनिया का शिकार बना रहा है। 28 बच्चों में कोरोना वायरस का संक्रमण मिला है, जबकि 29 बच्चों में स्वाइन फ्लू (H1N1) के लक्षण पाए गए।
बच्चों के टीकाकरण में बड़ी कमी विशेषज्ञों का कहना है कि इन खतरनाक बीमारियों के लिए बच्चों को दिए जाने वाले टीके बाजार में उपलब्ध नहीं हैं और न ही ये नियमित टीकाकरण का हिस्सा हैं। इसका सीधा असर बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ रहा है।
943 बच्चों पर हुआ अध्ययन मार्च 2022 से अप्रैल 2023 के बीच BRD मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में इलाज कराने आए 943 बच्चों के सैंपल लिए गए। इनमें से 505 बच्चों को निमोनिया की शिकायत थी। रिसर्च में यह भी सामने आया कि 56% बच्चों की उम्र एक वर्ष से कम थी।
पैराइन्फ्लूएंजा सबसे खतरनाक शोध में पैराइन्फ्लूएंजा वायरस का प्रभाव सबसे ज्यादा देखा गया। 220 बच्चों में यह संक्रमण पाया गया। 46 बच्चों में एक से अधिक वायरस का संक्रमण मिला, जिसमें एडिनोवायरस प्रमुख था। एडिनोवायरस को दमा का कारण माना जा रहा है, जिससे बच्चे भविष्य में गंभीर श्वसन संबंधी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय जालमा इंस्टीट्यूट ऑफ लेप्रोसी एंड माइक्रोबैक्टीरियल डिजीज, आगरा के विशेषज्ञ डॉ. हीरावती देवल ने बताया- पूर्वी उत्तर प्रदेश में बच्चों में श्वसन संक्रमण के कारण बढ़ती मृत्यु दर को रोकने के लिए यह रिसर्च महत्वपूर्ण है। कोरोना और स्वाइन फ्लू जैसे वायरस बच्चों के लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं।
वहीं, RMRC के वायरोलॉजिस्ट डॉ. अशोक पांडेय ने कहा- यह अध्ययन बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं को समझने में मदद करेगा। इसे स्विट्जरलैंड के प्रतिष्ठित ‘वायरसेस जर्नल’ में प्रकाशित किया जाएगा।
बच्चों के लिए नया खतरा शोध से यह स्पष्ट है कि कोरोना और स्वाइन फ्लू के वायरस बच्चों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकते हैं। इन बीमारियों के लिए टीकाकरण की व्यवस्था करना बेहद जरूरी है। इस शोध से न केवल बच्चों में श्वसन संक्रमण को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे रोकथाम के उपायों को भी मजबूत किया जा सकेगा।