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खुर्जा : धूमधाम से मनाई गई श्री अजमीढ़ देव जयंती महोत्सव

खुर्जा में श्री अजमीढ़ देव जी की जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मैढ़ क्षत्रिय समाज ने अपनी वंशबेल को भगवान विष्णु से जोड़कर गौरव का अनुभव किया। जयंती समारोह के तहत गोवर्धन मंदिर पर दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।

भगवान श्री अजमीढ़ देव जी को हस्तिनापुर और मेवाड़ के संस्थापक दादा श्रीहस्ति का पौत्र, भगवान श्री राम का परममित्र और स्वर्णकारों का आदि पुरुष माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मैढ़ क्षत्रिय समाज अपनी वंशबेल को भगवान विष्णु से जोड़ता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के नाभि-कमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई, जिनसे अत्री ऋषि और फिर चंद्र-सोम का जन्म हुआ। चंद्रवंश की 28वीं पीढ़ी में महाराजा अजमीढ़ जी का प्रादुर्भाव हुआ। त्रेतायुग के अंत में जन्मे महाराजा अजमीढ़, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के समकालीन और उनके परम मित्र थे।

महाराजा अजमीढ़ के दादा, महाराजा श्रीहस्ति ने प्रसिद्ध हस्तिनापुर नगरी की स्थापना की थी। महाराजा हस्ति के पुत्र विकुंठन और दशाह राजकुमारी महारानी सुदेवा के गर्भ से महाराजा अजमीढ़ का जन्म हुआ। उनके भाइयों में पुरुमीढ़ और द्विमीढ़ प्रमुख थे। महाराजा हस्ति के यशस्वी पुत्र अजमीढ़ एक महान चक्रवर्ती चंद्रवंशी राजा थे। स्वर्ण कला के प्रति उनका शौक उनकी पीढ़ियों में व्यवसाय के रूप में विकसित हुआ, जिसे आज भी मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज गर्व के साथ संजोए हुए है।

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