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आनंदीबेन पटेल के नाम नया रिकॉर्ड: यूपी में राज्यपाल के रूप में 6 साल पूरे

यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के नाम आज एक नया रिकॉर्ड दर्ज हो गया। उन्होंने यूपी में सबसे ज्यादा समय तक राज्यपाल बने रहने का गौरव हासिल किया है। इससे पहले किसी भी राज्यपाल ने यूपी में 6 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।

उनके नाम मोदी सरकार में सबसे ज्यादा समय तक राज्यपाल रहने का भी रिकॉर्ड दर्ज है। हालांकि वह अभी देश में सबसे अधिक समय तक राज्यपाल रहने वाले टॉप- 5 लोगों की सूची में शामिल नहीं हैं।

आनंदीबेन पटेल ने 7 अगस्त, 2016 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। फिर वह छत्तीसगढ़, उसके बाद मध्यप्रदेश की राज्यपाल बनीं। 29 जुलाई, 2019 को उन्हें यूपी का राज्यपाल बनाया गया था।

मोदी सरकार में 7 साल 187 दिन तक राज्यपाल रहने का रिकॉर्ड भी आनंदीबेन के नाम ही है। मोदी सरकार के 11 साल के कार्यकाल में किसी भी राज्यपाल को एक कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा मौका नहीं मिला है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है, मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लगता है कि आनंदीबेन अभी कुछ और दिन राज्यपाल के पद पर रह सकती हैं। उनकी नियुक्ति आदेश में भी साफ है कि 5 साल या अगला राज्यपाल नियुक्त होने तक वह यूपी की राज्यपाल बनी रहेंगी। वैसे भी केंद्र सरकार और भाजपा में उनकी मजबूत पकड़ है। राज्यपाल आनंदीबेन बीते एक साल में यूपी में ज्यादा सक्रिय दिखीं। उन्होंने पहली बार मीडिया से बात करते हुए प्रदेश सरकार के कामकाज के बारे में बेबाक राय रखी। इतना ही नहीं, प्रदेश के विधायकों को राजभवन में भोज भी दिया। राज्यपाल की पुस्तक के विमोचन में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी राजभवन आए थे। राज्यपाल ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य को राखी भी बांधी थी। राज्यपाल आनंदीबेन ने राजभवन के दोनों मुख्य प्रदेश द्वार पर दो द्वार बनवाए हैं। एक द्वार पर कमल के फूल खिलते हुए दिखाए गए हैं। कमल का फूल सत्तारुढ़ भाजपा का चुनाव चिह्न भी है। इसको लेकर सत्ता, शासन और राजनीतिक दलों में काफी चर्चा भी रही। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय बताते हैं- आनंदीबेन गुजरात में मोदी सरकार में मंत्री रही हैं। गुजरात की सीएम भी रही हैं। मध्यप्रदेश के बाद उन्हें यूपी का राज्यपाल बनाया गया था। पीएम मोदी खुद वाराणसी के सांसद हैं। आनंदीबेन राज्यपाल होने के साथ संवैधानिक दायरे में रहते हुए पर्यवेक्षण भी कर रही हैं। वह कुलाधिपति भी हैं। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए बहुत काम किया। यूपी के विश्वविद्यालयों को पहली बार नैक में A++ और A+ रैंकिंग मिली।

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