भगवान खाटू श्याम कथा एवं विराट संकीर्तन सम्मेलन का आयोजन
खुर्जा। वार्षिकोत्सव के अवसर पर भगवान खाटू श्याम कथा एवं विराट संकीर्तन सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आज शनिवार को कथा वाचक पंडित राहुल कृष्ण शास्त्री वृंदावन धाम के मुख से श्री खाटू श्याम जी की कथा का प्रवचन उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया। इस दौरान उन्होंने भगवान खाटू श्याम की कथा संगीतमय सुनाई।
भगवान श्री कृष्ण के कहने पर बर्बरीक ने वृक्ष की ओर तीर छोड़ दिया, जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को छेदता हुआ भगवान श्री कृष्ण के पैर पर आकर रुक गया, तब बर्बरीक ने कहा प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दवा है कृपया पैर हटा लीजिए क्योंकि मैं तीर को सिर्फ पत्तों को छेदेने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को नहीं। इस चमत्कार को देखकर कृष्ण चिंतित हो गए। भगवान श्रीकृष्ण यह बात जानते थे कि बर्बरीक प्रतिज्ञावश हारने वाले का साथ देगा। यदि कौरव हारते हुए नजर आए तो फिर पांडवों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा और यदि जब पांडव बर्बरीक के सामने हारते नजर आए तो फिर वह पांडवों का साथ देगा। इस तरह वह दोनों ओर की सेना को एक ही तीर से खत्म कर देगा।
भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण का भेष बनाकर सुबह बर्बरीक के शिविर के द्वार पर पहुंच गए और दान मांगने लगे। बर्बरीक ने कहा- मांगो ब्राह्मण क्या चाहिए? ब्राह्मणरूपी कृष्ण ने उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया। आज बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है। जहां कृष्ण ने उसका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है। खाटू श्यामजी भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार हैं।