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स्टोरी : पिता का निधन हुआ तो मां ने खेती कर संभाला परिवार, बच्चों को पढ़ाया, बेटा बना विराटनगर विधायक

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पावटा (राजेश कुमार हाडिया)। हर कामयाब इंसान के पीछे उसकी मां की सीख व प्रेरणा जरूर होती है। मां ही है, जो हर किसी रूप में ढल सकती है। वह निराशा में आशा, अंधियारे में उजियारा व गम में खुशी की उमंग भर सकती है। भूरी भड़ाज निवासी गिंदों देवी के संघर्ष की कहानी भी प्रेरणादायक है। 06 जनवरी 2006 को ब्रेन हेमरेज के कारण पति उमराव गुर्जर का निधन हो गया। गिंदों देवी के सिर पर 06 बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी आ गई।

राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का शौक : परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी, लेकिन गिंदों देवी हार नहीं मानते हुए पशुपालन व खेती को लक्ष्य बनाते हुए बच्चों की परवरिश में जुटी रही। 06 बच्चों में दूसरे नम्बर के बेटे इन्द्रराज गुर्जर को शुरू से ही राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का शौक था। पिता के निधन के वक्त इंद्राज गुर्जर विधि स्नातक में फर्स्ट ईयर में पढ़ रहे थे। पिता के निधन से इंद्राज का राजनीति में जाने का सपना बिखरने बिखरने लगा, लेकिन मां ने इंद्राज के हौसलों को टूटने नहीं दिया, बल्कि सपनों को पूरा करने के लिए साया बनकर साथ दिया।

किराए के साथ खाना भी बनाकर देती थी मां : गिंदों देवी ने दिनभर खेतों में काम कर बच्चों को पढ़ाया। इंद्राज कभी बड़े शहरों में भी जाते तो मां उन्हें किराए के साथ खाना भी बनाकर देती थी। मां की प्रेरणा के बदौलत इंद्राज राजनीति में बढ़ते चले गए। गिंदों देवी ने बताया कि 2006 में पति के निधन के बाद वह पूरी तरह से बिखर चुकी थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि गम के धोरों में उम्मीद की किरण झलकेगी और एक दिन बेटा इन्द्रराज विराटनगर विधानसभा का नेतृत्व करेगा।

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