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Health

बुजुर्गों को सर्दियों में अधिक क्यों बढ़ता अवसाद का खतरा!

Depression elderly in winter: ठंड सबसे ज्यादा अगर किसी पर जुल्म ढाती है तो वे हैं बुजुर्ग. इस उम्र में सर्दी के चलते कई गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ता है. इन बीमारियों की मुख्य वजहों में अवसाद भी एक है. यही वजह है कि सर्दियों में हर साल अवसाद ग्रस्त (डिप्रेशन) बुजुर्गों की संख्या बढ़ जाती है. वैसे इस मौसम का अवसाद से कोई खास जुड़ाव तो नहीं है, लेकिन सर्दी के सितम से बचने के लिए बुजुर्गों का एक कमरे तक सीमित हो जाना बड़ा कारण बन सकता है. दूसरा कारण, ठंड में शरीर को धूप कम मिलना भी हो सकता है. इस परेशानी को कम करने के लिए सबसे जरूरी है दिनचर्या में बदलाव करें. अपना और घर के बुजुर्गों का खास ख्याल रखें. अब सवाल है कि ठंड में अवसाद का खतरा बुजुर्गों में अधिक क्यों? क्या है इस बीमारी का कारण और लक्षण? मूड ठीक करने के लिए क्या करें? आइए जानते हैं इस बारें में

मौसम और बीमारी का क्या जुड़ाव

मायोक्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, ज़्यादातर मामलों में, मौसमी भावात्मक विकार (SAD) के लक्षण पतझड़ के अंत या सर्दियों की शुरुआत में दिखाई देते हैं. लेकिन, बसंत और गर्मियों के धूप वाले दिनों में गायब हो जाते हैं. इसका सीधा मतलब यह है कि गर्म मौसम में बुजुर्गों का चलना-फिरना रहता है. साथ ही उनके शरीर में विटामिन डी पूर्ति भी होती रहती है. अवसाद में जाने के कोई एक-दो कारण नहीं, बल्कि कई कारण हो सकते हैं.

ठंड में इसलिए बुजुर्गों को अवसाद का खतरा अधिक?

सर्दी शुरू होते ही बुजुर्गों को या तो एक कमरे तक सीमित कर दिया जाता है या फिर वो खुद हो जाते हैं. ऐसा होने से ऑक्सीजन की कमी और शरीर का ब्लड फ्लो स्लो होने लगता है. फिर धीरे-धीरे, उनमें हीन भावनाएं पैदा होने लगती हैं, जोकि बाद में अवसाद का कारण बन जाती हैं. इसके अलावा, सर्दियों में धूप कम मिलने से शरीर की जैविक घड़ी प्रभावित होती है और व्यक्ति डिप्रेशन के लक्षण महसूस करने लगता है. इससे शरीर में खुशी पैदा करने वाले हार्मोन सिरेटोनिन का स्तर भी कम हो जाता है. सिरेटोनिन हार्मोन कम होना विटामिन डी की कमी का कारण है.

अवसाद यानी डिप्रेशन किशोर और युवाओं से अलग होता है. जहां युवा डिप्रेशन में उदासी भरी बातें करते हैं, वहीं अवसाद ग्रस्त बुजुर्ग किसी से बात करना ही पसंद नहीं करते हैं. जब भी कोई उनका हालचाल पूछता है तो वे हमेशा यही बोलते हैं कि मैं ठीक हूं. यहां तक कि वे इस बारे में डॉक्टर को भी बताना पसंद नहीं करते हैं. ऐसी स्थिति और भी गंभीर हो सकती है.
बुजुर्गों में अवसाद के लक्षण

– दिन के अधिकांश समय सुस्त, उदास या निराश रहना
– किसी भी काम में ठीक से रुचि न लेना.
– बहुत अधिक सोने में समस्या होना.
– अधिक भोजन लेना और वजन बढ़ना.
– कुछ में खाना-पीना कम भी हो जाता है.
– अचानक से शांत-शांत हो जाना.
– देर तक एक जगह बैठे रहना.
– सामाजिक मेलजोल में कमी होना.
– ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना.
– जीने की इच्छा न होने के विचार आना

अवसाद से निपटने के तरीके

– ठंड में घर से बाहर कम से कम निकलें.
– छोटे-छोटे काम में शामिल करना चाहिए.
– पार्क में टहलें, एक कमरे से दूसरे में जाएं.
– घर के कामों में संभव अनुसार हाथ बटाएं.
– बच्चों संग खेलना, किसी काम को छोटा न समझें.
– खुद में हीन भावना बिलकुल भी न होने दें.
– बुजुर्गों के बदलते व्यवहार पर नजर जरूर रखनी चाहिए.

मूड को ठीक करने से उपाय

– नियमित आधा घंटे व्यायाम करें.
– दोपहर दो बजे से पहले धूप में बैठें.
– हंसने के बहाने ढूंढें.
– दूध और अंडे खाएं.
– खाने में केले, पपीता, नाशपाती, अनानास जैसे फल खाएं.
– ज्यादा चीनी, ट्रांस, फैड, सोडियम और ज्यादा कैलोरी वाले भोजन से बचें.

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