सुलतानपुर, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने उत्तर प्रदेश में पार्टी जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया है। प्रदेश नेतृत्व ने सुल्तानपुर से फिर से डॉ. आरए वर्मा के नाम पर सहमति की मुहर लगाई है। इस खबर के आते ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। वहीं उनके कुछ विपक्षी इससे सकते में आ गए हैं।
शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सकों में शामिल डॉ. आरए वर्मा पर भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने एक बार फिर दांव खेला है। उन्हें दोबारा पार्टी जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। जानकारों का ये कहना है कि आरए वर्मा के जिलाध्यक्ष बनाए जाने से पार्टी को लोकसभा में कोई खास बड़ा लाभ तो नहीं होगा, लेकिन उनको यदि पुनः अध्यक्ष न बनाया जाता तो उसका नुकसान पार्टी को अवश्य हो सकता था।
आरए वर्मा के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में एक जाति विशेष की गुटबाजी बढ़ेगी, जिस पर नकेल कसना उनके लिए चुनौती होगी। इससे पहले 2020 में डॉ. आरए वर्मा को पार्टी की कमान सौंपी गई थी। करीब 15 लोगों ने नामांकन किया था, जिसमें पांच लोग फाइनल रेस में थे। नामांकन करने वालों में रामभवन मिश्र, कृपा शंकर मिश्रा, सुशील त्रिपाठी, संतबख्श सिंह चुन्नू, प्रवीण कुमार अग्रवाल, शशीकांत पांडे, विजय त्रिपाठी, ज्ञान प्रकाश जायसवाल, श्याम बहादुर पांडेय, शिवाकांत मिश्र, विजय मिश्रा, आनन्द प्रकाश द्विवेदी, प्रीति प्रकाश, बृजभूषण मिश्रा, सुनील कुमार शामिल थे।
लखनऊ से दिल्ली तक लगाई दौड़
सभी ने लखनऊ से दिल्ली तक सबने दौड़ लगाई थी, लेकिन प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ. आरए वर्मा को सामाजिक समीकरण का हवाला देते हुए जिलाध्यक्ष बना दिया गया था। जिलाध्यक्ष बनने के दौरान उन्होंने स्वयं को विवाद से काफी दूर रखा, लेकिन हाल ही में हुए नगर पालिका चुनाव के दौरान एक ऑडियो ने उनके लिए समस्या खड़ी कर दी थी। घोसियाना वार्ड से सभासद का टिकट देने के लिए एक दावेदार से पैसे की मांग की गई थी। कहा जा रहा था कि पैसे की मांग पूरी न होने पर वार्ड से दूसरी महिला को टिकट दे दिया गया।