उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी?
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लेकर एक बार फिर अटकलों का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि उन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि उन्होंने पिछले 4 दिन में तीन बड़े नेताओं से मुलाकात की हैं. इतना ही नहीं केशव प्रसाद मौर्य की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात और उसके बाद उनका एक जिसमें उन्होंने लिखा कि 2027 में 2017 दोहराएंगे से भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
दरअसल, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी नए अध्यक्ष की घोषणा होनी हैं. कहा जा रहा है कि बीजेपी अखिलेश यादव के पीडीए वाले दांव को अपने अध्यक्ष के चुनाव से कुंद करना चाहती है. इन मुलाकातों के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने लगातार सार्वजनिक मंच से 2027 में 2017 दोहराने की बात की है और अपने बयान ट्वीट भी किए हैं. इससे यह साफ है कि यूपी बीजेपी में ओबीसी के सबसे बड़े चेहरे केशव प्रसाद मौर्य को पार्टी संगठन में मजबूत किया जा सकता है.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 8 से 11 जुलाई के बीच तीन बड़े नेताओं से मुलाकात की. इसके बाद जिस तरह से पार्टी संगठन के कार्यक्रमों में वह लगातार सक्रिय हैं, इसे लेकर संगठन में बड़ी जिम्मेदारी की चर्चाएं तेज हैं. पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, फिर वह राजनाथ सिंह से मिले और उसके बाद राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात की. इससे केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं शुरू हो गईं. लेकिन केशव प्रसाद मौर्य के करीबियों की मानें तो केशव प्रसाद मौर्य खुद को प्रदेश अध्यक्ष की रेस में नहीं मानते हैं. केशव प्रसाद मौर्य के बारे में एक चर्चा यह भी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर उनका नाम रेस में है.
केशव प्रसाद मौर्य का अचानक चार दिनों में अमित शाह, राजनाथ सिंह और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मिलना कोई सामान्य बात नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कुछ अंदरखाने जरूर चल रहा है, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोट बैंक निर्णायक रहने वाला है. ऐसे में बड़ी लड़ाई ओबीसी वोट बैंक को अपने पाले में करने की है. बीजेपी में ओबीसी के सबसे बड़े चेहरे केशव प्रसाद मौर्य हैं. वर्ष 2017 में केशव प्रसाद मौर्य के अध्यक्ष रहते हुए बीजेपी ने यूपी में बड़ी जीत हासिल की थी और बड़ी संख्या में ओबीसी वोटबैंक बीजेपी के पाले में रहा था. यही वोटबैंक लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी से कुछ हद तक खिसक गया था जिसका खामियाजा बीजेपी को यूपी में उठाना पड़ा था.