इटावा : पूर्व बीजेपी जिलाध्यक्ष समेत दो को उम्रकैद
इटावा में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष शिवप्रताप राजपूत और उनके साथी दीपू शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 9 साल पहले यानी 2015 में टीचर के बेटे का अपहरण कर हत्या और साक्ष्य मिटाने के उद्देश्य शव को नदी में फेंकने के मामले में जिला जज चवन प्रकाश की अदालत ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक लाख दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। गुरुवार को कोर्ट ने दोनों को दोषी माना था और फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस दौरान हवालात से लेकर न्यायालय परिसर में भाजपा नेता के समर्थकों अधिक संख्या को देखते हुए पुलिस बल तैनात किया। उम्रकैद की सजा पाए शिवप्रताप राजपूत कट्टर हिंदूवादी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं। भाजपा से अलग होकर के जब पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने जन क्रांति पार्टी का गठन किया था। तब शिवप्रताप राजपूत कल्याण सिंह के साथ पार्टी को मजबूती देने के लिए खड़े रहे।
टीचर के इकलौते बेटे को मारी थी गोली
अभियोजन पक्ष के अनुसार 19 अप्रैल 2015 को कोतवाली इलाके के आनंदनगर वासी रिटायर्ड शिक्षक मोहर सिंह यादव के इकलौते बेटे संतोष यादव का अपहरण करने के बाद हत्या कर शव को सहसो इलाके की क्वारी नदी में फेंक दिया था। गोली लगने से संतोष की मौत हुई थी। 20 अप्रैल को अनजान शव मिलने के बाद रिटायर्ड टीचर मोहर सिंह यादव ने शव की पहचान अपने इकलौते बेटे के रूप में मौके पर जाकर की थी।
चार पहिया से वाहन से उठाकर ले गए थे
रिटायर्ड टीचर मोहर सिंह यादव ने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष शिव प्रताप राजपूत उसके साथी विजयनगर निवासी दीपक शर्मा को नामजद किया था। दर्ज प्राथमिकी में यह दर्शाया गया था कि, तड़के 4 बजे उनके बेटे संतोष यादव को शिव प्रताप राजपूत और दीपक शर्मा फोर व्हीलर गाड़ी से उठाकर के ले गए हैं। जिसके बाद उसका कोई पता नहीं चल रहा है। इटावा कोतवाली में अपहरण के मामले को हत्या व सबूतों को मिटाने के मामले में तरमीम किया गया था। 40 साल का अविवाहित संतोष उनका इकलौता पुत्र था।
पहले ब्लाॅक प्रमुख फिर जिलाध्यक्ष बने
हत्या के मामले में उमकैद की सजा पाए शिव प्रताप राजपूत भारतीय जनता पार्टी के प्रारंभिक तौर से नेता रहे हैं। 2000 से 2005 तक बढ़पुरा ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख रहने के बाद में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2009 का लोकसभा चुनाव शिवप्रताप राजपूत की अगुवाई में लड़ा गया। लेकिन भाजपा की हार के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था।
विधायकी का हार चुके हैं चुनाव
2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में शिव प्रताप राजपूत औरैया जिले के दिबियापुर विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उतरे, लेकिन चुनाव नतीजे में राजपूत को मात्र 31528 मत मिले और उनको तीसरे नंबर पर ही संतोष करना पड़ा।
2017 में पत्नी ने ज्वाइन की थी सपा
जब शिवप्रताप राजपूत हत्या के मामले में जेल में बंद थे तो 2017 में उनकी पत्नी सरोज राजपूत उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष नुमाइश मैदान में आयोजित सभा के दौरान समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं। शिव प्रताप राजपूत का भाई अवनीश राजपूत करीब 4 साल तक समाजवादी पार्टी की जिला इकाई में उपाध्यक्ष रहे।
2021 में सपाई, 2022 में फिर भाजपाई बने
बेशक 2021 के पंचायत चुनाव के दौरान शिवप्रताप राजपूत समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव के दरम्यान भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो प्रभावी भूमिका में नजर आए। शिव प्रताप राजपूत की छवि इटावा और इटावा के आसपास प्रभावी लोधी नेता के रूप में मानी जाती रही है लेकिन हत्या के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि उनका राजनीतिक भविष्य अंधकार मय हो गया है।