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कैशबैक के नाम पर बड़ा घोटाला! : मोबाइल ऐप से लोगों को लूटा

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दिल्ली. हर रिचार्ज और खरीदारी पर बात-बात में आजकल कई पेमेंट एग्रीगेटर ऐप कैशबैक ऑफर करते हैं. लेकिन, इस कैशबैक की आड़ में गुरुग्राम स्थित एक कंपनी ने एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया है. टॉकचार्ज नाम की एक कंपनी ने लोगों को 5,000 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. CNN-News18 की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में टॉकचार्ज नाम की कंपनी के खिलाफ की गई जांच में पता चला कि कैशबैक के नाम पर यूजर्स को कुछ ही महीनों में चौंका देने वाला रिटर्न ऑफर किया जा रहा था. इस मामले में पीड़ित यूजर्स का आरोप है कि यह 5000 करोड़ रुपये का घोटाला है. इस कंपनी ने अप्रैल 2024 में ऑपरेशन बंद कर दिया था. सीएनएन-न्यूज18 ने गुरुग्राम में अंकुश कटियार द्वारा स्थापित टॉकचार्ज द्वारा संचालित पोंजी स्कीम के पीड़ितों से बात की.

माना जा रहा है कि निवेश को कई गुना बढ़ाने का वादा करने वाले ऐप ने देश भर में सैकड़ों लोगों को ठगा है. इसकी बेहद खराब रेटिंग के बावजूद इसके लगभग 2 मिलियन डाउनलोड होने का दावा किया गया है. देशभर में इस ऐप के प्रमोटर्स के खिलाफ शिकायत और एफआईआर दर्ज की गई हैं.

इस घोटाले के पीड़ितों में से एक राजस्थान के दौसा के रामअवतार शर्मा ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी मेहनत की कमाई और उनकी सारी बचत लूट ली जाएगी. उन्हें इस ऐप से सिर्फ प्रॉफिट की उम्मीद थी, नुकसान की नहीं. उन्होंने कहा, “ऐप में पैसा लगाने के लिए उन्होंने बैंकों से कर्ज भी लिया और मरने के सिवाय कोई चारा नहीं बचा.”

बड़े-बड़े कैशबैक का ऑफर

शुरुआत में प्रीपेड पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर लॉन्च हुए टॉकचार्ज ने यूजर्स को आकर्षक कैशबैक ऑफ़र दिया, जिससे कई लोग इसमें पैसा लगाने के लिए आकर्षित हुए. महज 4,999 रुपये की जमा राशि पर 1,666 रुपये का कैशबैक, तो बैंक खाते में 7,50,000 रुपये का भारी कैशबैक प्राप्त करने के लिए टॉकचार्ज वॉलेट में सिर्फ 59,999 रुपये जमा करना जैसे ऑफर शामिल थे. अब पीड़ितों का कहना है कि टॉकचार्ज पर भरोसा करना उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी.

2017 में ग्राहकों के लिए कई ई-वॉलेट ऑप्शन उपलब्ध थे और टॉकचार्ज ने बाजार स्टैण्डर्ड से ज्यादा कैशबैक की पेशकश की. एक बार यूजर्स का विश्वास हासिल होने के बाद कंपनी ने बिग मनी ऑफर दिए तो लोग ज्यादा पैसा लगाने लगे.

विश्वास जीतने के बाद धोखाधड़ी का खेल

जुलाई 2023 में कंपनी ने 20 प्रतिशत सुविधा शुल्क वसूलना शुरू किया, जो कई मायनों में गलत था. अगस्त 2023 में, कंपनी ने 20 प्रतिशत सुविधा शुल्क से छुटकारा पाने और विड्रॉल को आसान बनाने के लिए 1,49,999 रुपये के टैग के साथ एक प्रोमो कोड ‘नो फीस’ लॉन्च किया. इसके बाद जनवरी 2024 में, धोखाधड़ी वाले लेनदेन शुरू हो गए.

ग्राहकों ने कहा कि वेंडर को किया गया पेमेंट सफल रहा लेकिन बिलर को पैसा नहीं मिला. मार्च 2024 में, एप्लिकेशन पर निकासी और सेवाएं पूरी तरह से बंद हो गईं. पीड़ित रामअवतार शर्मा ने कहा, “मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों का कुल वॉलेट बैलेंस 1.19 करोड़ रुपये था. अगर मुझे यह पैसा वापस नहीं मिला तो मुझे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. ” कैशबैक के नाम पर इस ऐप के जरिए कई लोगों को ठगा गया. सीएनएन-न्यूज 18 की जांच में देशभर में इस ऐप में पैसा गंवा चुके 800 लोग मिले.

एक अन्य पीड़ित अभिषेक मणि ने कहा, “इस घोटाले के मास्टरमाइंड, यूजर्स को धोखा देने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल कर रहे थे. इस ऐप की को-फाउंडर शिवानी माहेश्वरी कई नए स्टार्टअप का कैपिटलिस्ट बताया गया. यदि आप उनके बैकग्राउंड के बारे में पढ़ेंगे, तो उन्होंने टॉकचार्ज से पहले कभी किसी कंपनी में काम नहीं किया है तो फिर वह किस आधार पर स्टार्टअप्स में करोड़ों का निवेश करने में सफल रही. ”

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