बौर भी बचेगा…फल भी टिकेगा! इस महीने आम के पेड़ों की ऐसे करें देखभाल
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि फरवरी का महीना आम की फसल के लिए बेहद अहम होता है. बौर आने के बाद अगर वह फल में नहीं बदल रहा है और बौर गिर रहा है, तो किसान समय पर सिंचाई करें. इसके अलावा, बौर गिरने से रोकथाम करने के लिए रासायनिक उपाय भी किए जा सकते हैं, जिससे किसानों को आम के पेड़ों से अच्छा उत्पादन मिल सकता है. आम में बौर गिरने के पीछे सबसे बड़ी वजह फंगस होती है. इस दौरान आम के बौर में पाउडर इम्लड्यू नाम का एक रोग आता है, जिसकी रोकथाम करना बहुत जरूरी है. इस रोग की रोकथाम के लिए सल्फर 80 डब्ल्यूपी का छिड़काव कर सकते हैं. किसान 2 ग्राम सल्फर प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर आम के पेड़ों पर छिड़काव करें. इससे बौर गिरने की रोकथाम हो जाएगी और ज्यादा से ज्यादा बौर फल में तब्दील हो जाएगा.
डॉ. पुनीत कुमार पाठक ने news को बताया कि जब बौर से फल बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाए और फल मटर के आकार का हो जाए, तब किसान पोटेशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें. इससे आम का फल तेजी के साथ बढ़ेगा और गिरेगा नहीं. किसान 2 ग्राम पोटेशियम नाइट्रेट प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें. उन्होंने कहा कि आम के पेड़ों से अच्छी पैदावार लेने के लिए सिंचाई करना भी बहुत जरूरी है. आम के पेड़ों में सिंचाई इतनी करें कि पर्याप्त नमी बनी रहे. अधिक सिंचाई करने से आम के पेड़ों के उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. समय पर सिंचाई करने से फल गिरेगा नहीं और उसका वजन तेजी से बढ़ेगा.
अगर सभी उपाय करने के बावजूद भी फल गिर रहा है, तो किसान नैप्थलीन एसिटिक एसिड का छिड़काव कर सकते हैं. इसके लिए नैप्थलीन एसिटिक एसिड 10 से 20 पीपीएम का इस्तेमाल करें. यह छिड़काव करने से फलों के गिरने की समस्या कम होगी और बेहतर उत्पादन मिलेगा.