किसान प्रदर्शन को पंजाब सरकार का समर्थन, सरकार के सामने रखी यह 4 नई मांग
दिल्ली: पंजाब के किसान मंगलवार को राज्यों के बीच दो सीमा बिंदुओं पर हरियाणा पुलिस से भिड़ गए, उन्हें आंसू गैस और पानी की बौछारों का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में अपने विरोध मार्च को रोकने वाले बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की. पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, जिनमें से कुछ ड्रोन से गिराए गए और हरियाणा में अंबाला के पास शंभू सीमा पर कई घंटों तक चली झड़प में पथराव करने वाले प्रदर्शनकारियों के समूहों को तितर-बितर करने की कोशिश की गई.
शंभू बॉर्डर- दिल्ली कूच पर अड़े किसानों ने शाम ढलते ही प्रदर्शन रोका और जानकारी के मुताबिक, किसान सुबह फिर दिल्ली की ओर बढ़ेंगे. किसान नेताओं के मुताबिक, पुलिस के साथ हुई झड़प में करीब 80 किसान घायल हुए हैं. वहीं पंजाब सरकार का किसान प्रदर्शन को समर्थन दिया है. हरियाणा की सीमा से सटे पंजाब के अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है. इसमें संगरूर, पटियाला, डेराबस्सी, मानसा और बठिंडा में अस्पताल अलर्ट पर हैं. हरियाणा पुलिस ने राज्य के जींद जिले में भी सीमा पर दिल्ली चलो प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस के गोले छोड़े. वहां पानी की बौछारें भी तैनात की गईं. एक पुलिस उपाधीक्षक सहित सात पुलिस कर्मियों को अंबाला सरकारी अस्पताल लाया गया. कुछ किसानों के घायल होने की भी खबर है.
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, किसानों ने सरकार के सामने कुछ नई मांगे और रखी हैं. यह मांगें इस प्रकार हैं…
1- WTO से भारत बाहर हो जाये
2- FTA को रद्द कर दें
3- किसानों के घर में स्मार्ट मीटर ना लगें
4- पराली जलाने को जलवायु से बाहर रखें
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और ऋण माफी पर कानून सहित अपनी मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली चलो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून सभी हितधारकों से परामर्श किए बिना जल्दबाजी में नहीं लाया जा सकता है. उन्होंने किसान समूहों से इस मुद्दे पर सरकार के साथ एक संरचित चर्चा करने का आग्रह किया. मुंडा और केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार रात चंडीगढ़ में किसान संगठनों के साथ आखिरी बातचीत की थी, लेकिन पांच घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रही. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को मार्च से जुड़ी दो अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र और हरियाणा और पंजाब राज्यों को नोटिस जारी किया.
कोर्ट में क्या हुआ?
याचिकाकर्ताओं में से एक ने अदालत से दोनों राज्य सरकारों और केंद्र की सभी “अवरोधक” कार्रवाइयों पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की. दूसरे ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया कि प्रदर्शनकारियों द्वारा कोई राजमार्ग अवरुद्ध न किया जाए. ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर महिलाओं समेत किसानों का एक बड़ा समूह मंगलवार सुबह करीब 10 बजे पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से रवाना हुआ, जो भाजपा शासित हरियाणा की सीमा से करीब 40 किलोमीटर दूर है.
हरियाणा सरकार ने धमकाया है: किसानों का दावा
हरियाणा में दिल्ली जाने वाले हाईवे पर कई जगहों पर पुलिस बैरियर लगाए गए हैं. इतना ही नहीं राजधानी के प्रमुख एंट्री प्वाइंट पर दिल्ली पुलिस ने बैरिकेटिंग लगा रखी हैं, जिनमें सड़क पर कंटीले तार, कंक्रीट स्लैब और टायर फटने वाली पट्टियां शामिल हैं. दिल्ली की किलेबंदी ने 2021 में केंद्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए कई किसानों के आंदोलन की याद दिला दी. प्रदर्शनकारियों ने तब दिल्ली में प्रवेश करने वाली मुख्य सड़कों को महीनों तक रोक दिया था. हालांकि प्रदर्शनकारी शहर के आसपास कहीं नहीं थे, लेकिन प्रमुख सड़कों तक पहुंच को नियंत्रित करने वाले बैरिकेड्स के कारण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई स्थानों पर यातायात धीमी गति से चला. यह सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर लगे बैरियर से अलग था. मंगलवार को हरियाणा के किसानों की ओर से मार्च में शामिल होने के लिए कोई खास हलचल देखने को नहीं मिली. पंजाब के प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि वहां के किसानों को हरियाणा सरकार ने धमकाया है. शंभू सीमा पर, हरियाणा पुलिसकर्मियों ने सबसे पहले आंसू गैस का इस्तेमाल किया जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने एक धातु बैरिकेड तोड़ दिया और उसे घग्गर नदी पुल से फेंकने की कोशिश की. प्रदर्शनकारियों ने भारी कंक्रीट अवरोधों को हटाने की कोशिश करते हुए ट्रैक्टरों का भी इस्तेमाल किया. उनमें से कई स्पष्ट रूप से सड़क अवरोध से बचने के लिए राजमार्ग से सटे खेतों में तितर-बितर हो गए. उन्हें भी आंसू गैस के गोलों का सामना करना पड़ा.
जब ड्रोन से गिरे आंसू गैस के गोले
पूरे इलाके में आंसू गैस का धुआं छा गया. प्रदर्शनकारियों को आंसू के धुएं को रोकने के लिए गिरे हुए कनस्तरों को जूट की थैलियों से ढंकते देखा गया. शंभू में प्रदर्शनकारियों पर एक ड्रोन को गोले गिराते देखा गया. हरियाणा पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि जब पुलिस कर्मियों पर पथराव किया गया तो स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया. प्रवक्ता ने कहा कि किसी को भी अशांति फैलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी. ऐसा करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा. एक अन्य झड़प में, पुलिस ने जींद में मुख्य सीमा बिंदु पर आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं. किसान दाता सिंहवाला-खनौरी बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड्स को पार करने की कोशिश कर रहे थे. हरियाणा में अधिकारियों ने मार्च को रोकने के लिए अंबाला, जिंद, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र और सिरसा में पंजाब के साथ राज्य की सीमाओं को मजबूत कर दिया है.
टकराव में शामिल नहीं होंगे: किसान नेता
कई स्थानों पर वाटर कैनन समेत दंगा नियंत्रण वाहन तैनात हैं. प्रदर्शनकारियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. हरियाणा सरकार ने 15 जिलों में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है. किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंधेर ने दिल्ली जाने वाले रास्ते पर भारी बैरिकेडिंग की. मार्च शुरू होने से पहले उन्होंने फतेहगढ़ साहिब में संवाददाताओं से कहा कि ऐसा नहीं लगता कि पंजाब और हरियाणा दो राज्य हैं. ऐसा लगता है कि उनकी अंतरराष्ट्रीय सीमा है. मनोहर लाल खट्टर सरकार पर निशाना साधते हुए पंधेर ने कहा कि हरियाणा को “कश्मीर घाटी” में बदल दिया गया है. हरियाणा में, अर्धसैनिक बलों की 64 कंपनियां और राज्य पुलिस की 50 कंपनियां जिलों में तैनात की गईं. उन्होंने कहा कि हम किसी भी तरह के टकराव में शामिल नहीं होंगे.