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काशी में मुस्लिम बहुल इलाके में 10 हजार दुकानें टूटेंगी, कारोबारी बोले- हम बर्बाद हो जाएंगे

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काशी में मुस्लिम एरिया में 10 हजार दुकानें टूटेंगी। ये थोक बाजार दालमंडी है, जिसे पूर्वांचल का सिंगापुर कहा जाता है। ब्लू प्रिंट कुछ ऐसा है कि 150 मीटर दूर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तक लोग आसानी से आ-जा सकें। ट्रैफिक का दबाव कम हो जाए।

इसके लिए 8 फीट की सड़क को 23 फीट तक चौड़ा करने की तैयारी है। 900 मीटर की सड़क पर अब तक 10 हजार दुकानों का सर्वे हो चुका है। मगर कई पुश्तों से यहां कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए यह जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द साबित होने जा रहा है इस वक्त बाबा विश्वनाथ धाम जाने के लिए शहर के दो प्रमुख रास्ते हैं। पहला- बेनिया-गोदौलिया। दूसरा- मैदागिन-चौक। दालमंडी इन प्रमुख मार्गों के बीच की लिंक रोड है।

इस वक्त बेनिया के रास्ते आने वाले श्रद्धालु बेनियाबाग में वाहन पार्क करते हैं। फिर पैदल 2.5 Km का चक्कर लगाकर विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर एक तक पहुंचते हैं। दालमंडी रोड चौड़ी होने के बाद यह दूरी 1Km रह जाएगी। इससे दूसरे प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक दबाव कम होगा।

इलाके को बखूबी समझने वाले गुलशन कपूर बताते हैं- काशी प्राचीन काल से गंगा किनारे बसी है। विश्वनाथ मंदिर के समीप चौक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। देश के कोने-कोने से व्यापारी, श्रद्धालु यहां आते और दालमंडी इलाके में ठहरते थे। व्यापारियों के मनोरंजन के लिए यहां संगीतालय खुल गए, जहां नृत्य के साथ सुर और संगीत की समझ रखने वाली महिलाएं व्यापारियों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करती थीं।

कुछ लोग इन्हें नगर वधू के नाम से भी पुकारते थे। समय बदलने के साथ ही यहां सजने वाली महफिल बदनाम हो गई और अस्सी का दशक आते आते नृत्य और संगीत की महफिल की रोशनी बुझ गई। नृत्य संगीत के इलाके ने भी बदलते समय के साथ कारोबार की चादर ओढ़ ली।

दालमंडी पर किताब लिख चुके व्योमेश कहते हैं- हमारे समाज में चार पुरुषार्थ धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष को जगह दी गई है। पूरी दुनिया में लाखों चौक होंगे लेकिन महादेव की नगरी का चौक अलग है। एक रास्ता धर्म यानी विश्वनाथ मंदिर को तो दूसरा रास्ता मोक्ष यानि मणिकर्णिका की तरफ जाता है। तीसरा रास्ता प्रमुख बाजार चौक है जो अर्थ को दर्शाता है तो चौथा रास्ता काम का माना गया है जो दालमंडी की तरफ जाता था। काम को यहां वेश्यावृत्ति से मत जोड़िए, काम का वास्तविक अर्थ परम आनंद की अनुभूति से है।

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