60 सेकेंड में 120 राउंड होंगे फायर, DAC ने दी हरी झंडी
AATMANIRBHAR NAVY: भारतीय नौसेना आत्मनिर्भर भारत मुहिम में तेजी से आगे बढ़ रही है. एयरक्राफ्ट कैरियर से लेकर जंगी जहाज, सबमरीन से लेकर एंटी सबमरीन टॉरपीडो सभी स्वदेशी हैं. नौसेना के हर वॉरशिप की मेन गन SRGM यानी सुपर रैपिड गन माउंट गन है. अब तक इस गन को इटली की कंपनी OTO Melara से खरीदा जा रहा था. अब भारतीय कंपनियों से यह खरीद होगी. रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने SRGM प्रोजेक्ट के AON यानी एक्सपटेंस ऑफ नेसेसिटी को मंजूरी दे दी है.
BHEL हरिद्वार में बन रही थी गन
हरिद्वार स्थित भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL) 1994 से लगातार नौसेना और कोस्ट गार्ड के शिप के लिए सुपर रैपिड गन माउंट गन का निर्माण कर रही है. इटली की कंपनी OTO Melara से लाइसेंस प्रोडक्शन के तहत इसे बनाया जा रहा है. साल 2023 में ही रक्षा मंत्रालय ने BHEL हरिद्वार से 16 अपग्रेडेड गन और अन्य साजो सामान की डील की थी. इस पूरे डील की कीमत 2956.89 करोड़ रुपये थी. प्रोजेक्ट 17A के तहत 7 नीलगिरी गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट नौसेना के लिए बनाए जा रहे हैं. इसी अपग्रेडेड SRGM की पहली गन इसी साल नौसेना में शामिल किए गए INS नीलगिरि में लगाई गई है. MDL और GRSE में बन रहे बाकी सभी स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रीगेट में यही अपग्रेडेड गन लगनी है.
अब तक स्वदेशी तौर पर SRGM की बैरल नहीं बनाई जाती थी. अब इस गन का बैरल कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री में तैयार किया जा रहा है. पिछले महीने ही भारतीय नौसेना को SRGM के दो बैरल सौंपे गए हैं. पहली बार है जब और नौसेना को जो बैरल सौंपे गए हैं, वे स्वदेशी बैरल की पहली खेप हैं. अब आगे से इस गन के बैरल को बाहर से नहीं मंगवाया जाएगा. जितने भी वॉरशिप में यह सुपर रैपिड गन माउंट गन लगी है, उनकी बैरल की रिप्लेसमेंट इन्हीं स्वदेशी बैरल के जरिए होगी. जितने भी नए वॉरशिप आने वाले दिनों में शामिल होंगे, उनमें भी यही स्वदेशी बैरल ही लगाई जाएगी. चूंकि अब यह बैरल भारत में तैयार हो रही है, लिहाजा इसकी कीमत भी पहले से कम होगी.