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अनिरुद्ध आचार्य ने कहा- माता-पिता अपने बेटों को ना बनने दे धृतराष्ट्र और गांधारी

बुलंदशहर के सिकंदराबाद किशन तालाब पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन अनिरुद्ध आचार्य ने धर्म और सभ्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मांसाहार हमारी सभ्यता का हिस्सा नहीं है। मांस खाने का मतलब जानवरों के समान होना है। उन्होंने कहा, “किसी की जान लेकर मांस खाना हमें हत्यारा बना देता है। हमारे देश में पेट भरने के लिए 56 भोग उपलब्ध होते हैं, जबकि अमेरिका और पाकिस्तान में ऐसा नहीं है।”

लोभ से बचना मनुष्य के लिए जरूरी

महाभारत की कथा सुनाते हुए अनिरुद्ध आचार्य ने कहा कि लोभ मनुष्य के पतन का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने बताया कि लोभ के कारण इंसान गलत कार्यों में फंस जाता है, जिससे उसका जीवन बर्बाद हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सच्चा मित्र वही होता है, जो गलत कार्यों से रोककर सही मार्ग दिखाए।’ माता-पिता बच्चों के लिए गांधारी और धृतराष्ट्र ना बनें

बच्चों की परवरिश पर बात करते हुए अनिरुद्ध आचार्य ने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों की गलतियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा, “धृतराष्ट्र और गांधारी ने दुर्योधन की गलतियों को रोका नहीं, जिसकी वजह से महाभारत का युद्ध हुआ। माता-पिता को बच्चों की गलतियों पर रोक लगाकर उन्हें सही दिशा में ले जाना चाहिए।”

समाजसेवी और भक्तों की उपस्थिति

इस मौके पर आयोजन समिति के सदस्य अंशु शर्मा, पंडित सचिन शर्मा, वैभव गोयल, उज्जवल गोयल, अर्चित गोयल और विपुल गर्ग सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे। कथा के माध्यम से धर्म और जीवन की महत्वपूर्ण सीखें दी गईं।

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