नोएडा : किसानों की पुलिस से धुक्का-मुक्की, 2 महिलाएं बेहोश, दलित प्रेरणा स्थल पर धारने पर बैठे किसानों को जबरन उठाया गया
नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल पर बैठे किसानों को पुलिस प्रशासन ने जबरन उठा दिया है। इस दौरान पुलिस की किसानों से धक्का-मुक्की भी हो गई। कई किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। उनकी गाड़ियों को पुलिस ने उठवा लिया है। पुलिस किसानों को बस में बैठाकर लेकर जा रही है। पुलिस की जबरन गिरफ्तारी के बाद 2 महिला किसान बेहोश हो गई हैं।
भारतीय किसान यूनियन टिकैत के पवन खटाना ने पुलिस प्रशासन पर दबाव डाल कर बात करने का आरोप लगाया है। किसानों का कहना कि प्रशासन की मंशा ठीक नहीं लग रही है। गांव में पुलिस फोर्स लगा रखा है, किसान, किसान नेताओं को हाउस अरेस्ट कर रखा है। कुछ लोगों को थाने पर बैठा रखा है।
किसानों का कहना है कि ऐसे दबाव में वार्ता नहीं करेंगे। जेल जाने को हम तैयार हैं। हम यहां जेल जाने को ही आए हैं। किसानों का आरोप है कि जगह-जगह पुलिस वेरिफिकेशन लगाकर चेकिंग कर रही है। किसानों को धरना स्थल पर पहुंचने से रोका जा रहा है। प्रशासन बलपूर्वक धरने को समाप्त करने में लगा हुआ है। ज्वाइंट सीपी शिव हरि मीना मौके पर कह रहे हैं कि पुलिस किसी को पकड़ नहीं रही, जबकि अभी-अभी सुनील फौजी से बात हुई है। उन्होंने पुलिस से मुलाकात कराई। उन्हें पुलिस ने रोक रखा है। ऐसे ही अन्य किसानों को घर पर हुए थाने में बैठा रखा है। प्रशासन की मंशा ठीक नहीं है।
कमेटी की ओर से बनाई गई इस रिपोर्ट को शासन को भेजा गया है। अंतिम निर्णय वहीं से होना है। ऐसे में किसानों ने स्पष्ट कहा कि जब तक हमारी प्रमुख मांग 10 प्रतिशत विकसित लैंड, 64.7 प्रतिशत की दर से मुआवजा और नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार बाजार दर का 4 गुना मुआवजा नहीं दिया जाएगा। किसान आंदोलन जारी रहेगा।
अधिग्रहित व कब्जा प्राप्त जमीन पर अब तक अतिक्रमण दिखा कर जिन 6070 किसानों के पांच प्रतिशत विकसित भूखंड को अधिकारियों ने रोक रखा था, उन्हें दो माह में नोएडा प्राधिकरण को लगाना होगा। साल 2011 में जिन गांव में किसानों की आबादी निस्तारण प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, उन गांव के किसानों के नाम आज तक खतौनी में नहीं चढ़ाए गए थे, ऐसे में अब दो माह में नोएडा के 81 गांव में 3839 किसानों की बैक लीज कर नाम खतौनी में चढ़ाया जाएगा। आबादी निस्तारण के लिए प्रति वयस्क का दायरा 450 मीटर था, जिसे बढ़ाकर अब हजार वर्ग मीटर प्रति वयस्क कर दिया है। किसानों की आबादी चयनित कर पेरीफेरल सड़क के द्वारा आबादी को सुनिश्चित किया जाए। सड़क का निर्माण तीन माह के अंदर पूरा किया जाए।
जिन तीन मांगों को खारिज किया गया था उसमें साल1997 से अब तक सभी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए। साल 1997 से साल 2002 के मध्य जमीन अधिग्रहण में 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा सभी किसानों को दिया जाए।
पांच प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियों को मान्य किया गया। इन तीनों मांग के खारिज होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक की और प्राधिकरण अधिकारियों से बातचीत की। लेकिन वार्ता विफल रही। इसके अलावा नए किसान कानून को लागू किया जाए। जिसके तहत सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा और 20 प्रतिशत लैंड दी जाए। ये मांगे नहीं मानने पर किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया। प्राधिकरण अधिकारियों से बातचीत के बाद किसानों ने सात दिन का समय दिया है।