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जल उठे दुनियाभर के शेयर बाजार, व्हाइट हाउस में बैठकर टैरिफ की बांसुरी बजा रहे ट्रंप

 दिल्‍ली. डोनाल्‍ड ट्रंप के टैरिफ वार से दुनियाभर के शेयर बाजार जल उठे हैं. भारत सहित सभी एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी जा रही है. वैश्विक मंदी की आशंका और ट्रेड वॉर के बढ़ते असर के चलते निवेशकों ने जमकर बिकवाली की. इसका असर यह हुआ है कि MSCI एशिया पैसिफिक इंडेक्स 7.9% तक गिर गया है. यह अक्टूबर 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है. टीएसएमसी, टेंनसेंट और Sony जैसी दिग्गज कंपनियां के शेयरों को सबसे ज्‍यादा नुकसान हुआ है. भारत में शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्‍स 3000 अंकों तक लुढक गया. निफ्टी50 भी 919 अंक टूट गया है.

हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स तो 10.7% तक गिर गया, जो ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद सबसे खराब स्थिति है. ताइवान का टेक-हैवी इंडेक्स 9.8% तक गिरा है, जो अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. जापान और दक्षिण कोरिया में भी प्रमुख सूचकांक 4% से ज्यादा टूटे. इंडोनेशिया, थाईलैंड और वियतनाम में बाजार अवकाश के चलते बंद रहे, वरना वहां भी भारी गिरावट की आशंका जताई जा रही थी.

गिरावट की बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ और चीन की जवाबी कार्रवाई है. ट्रेड वॉर के इस बढ़ते तनाव ने पूरी दुनिया को आर्थिक मंदी की ओर धकेलने की आशंका बढ़ा दी है. ऑस्ट्रेलिया के हेज फंड Ten Cap की संस्थापक जुन बेई लियू का कहना है कि शेयर बाजारों ने “सही मायनों में हार मान ली है. यह सिर्फ ट्रेड सेक्टर की बात नहीं है, हर सेक्टर में बिकवाली हो रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका-चीन के बीच तनाव यूं ही जारी रहा तो वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की दलदल में धंस सकती है. निवेशक घबराए हुए हैं  और बाजार फिलहाल किसी भी सकारात्मक संकेत की बाट जोह रहा है.

जाने-माने वित्तीय विश्लेषक जिम क्रैमर ने चेतावनी दी है कि बाजार ब्लैक मंडे 2.0 की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापक टैरिफ निर्णय और वैश्विक तनावों की वजह से यह स्थिति बन रही है. उनका मानना है कि अगर ट्रंप ने हालात को संभालने के लिए कोई रचनात्मक कदम नहीं उठाया तो वैश्विक बाजारों को 1987 जैसी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है. चूंकि ट्रंप अपने निर्णयों से पीछे हटते नहीं दिख रहे, इसलिए यह खतरा और भी वास्तविक होता जा रहा है.

Umh News india

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