पूर्व विधायक गुड्डू पंडित को 2 साल 5 महीने की सजा, एमपी-एमएलए कोर्ट ने 25500 जुर्माना लगाया
अनूपशहर, की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व विधायक गुड्डू पंडित को 2 साल 5 माह के कारावास की सजा सुनाई है। साथ 25500 का जुर्माना भी लगाया है। सजा सुनाए जाने के बाद यह तय हो गया कि पूर्व विधायक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। पूर्व विधायक गुड्डू पंडित और उनके करीबियों ने सोशल मीडिया पर पुलिस पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद गुड्डू पंडित के खिलाफ कोतवाली नगर में 188, 420, धारा 21 एवं आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया था। हालांकि कोर्ट ने बाद में जमानत भी दे दिया।
विशेष लोक अभियोजक हितेंद्र वर्मा ने बताया कि 11 मई 2020 को चौकी प्रभारी खुर्जा गेट राम नरेश ने कोतवाली में तहरीर दी थी। जिसमें उन्होंने बताया कि भगवान शर्मा गुड्डू पंडित अपने आवास पर लालच देकर भीड़ को एकत्रित किए हुए थे। जिस संबंध में एक नोटिस भी जारी किया गया था। गुड्डू पंडित द्वारा उक्त नोटिस को गलत रूप से प्रस्तुत कर तथ्यों को छुपाते हुए अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर किया तथा अपने करीबियों के भी माध्यम से सोशल मीडिया पर वास्तविकता से भिन्न रूप से इसे प्रसारित कराया गया। जिससे यह प्रतीत होता है कि जनपद बुलंदशहर पुलिस जन सेवा करने वालों को प्रताड़ित कर रही है।
उन्होंने बताया कि गुड्डू पंडित का यह कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है। चौकी प्रभारी की तहरीर पर कोतवाली नगर पुलिस ने धारा 188 धारा 420 ipc, धारा 21 उप्र लोक स्वास्थ्य व महामारी अधिनियम एवं आईटी एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज किया था।
एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया।
विवेचना करने के उपरांत विवेचक ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। जिसके बाद एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विनय कुमार की चतुर्थ ने मामले की सुनवाई करते हुए विधायक गुड्डू पंडित को आईपीसी 188 एवं धारा 21 उत्तर प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश 2020 के तहत दोषी सिद्ध किया।
कोर्ट ने दी जमानत
आईपीसी की धारा 188 के तहत कोर्ट ने पूर्व विधायक को तीन माह के कारावास एवं 500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया और धारा 21 के तहत 2 साल 5 माह के कठोर कारावास तथा 25 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। विवेचक ने आईटी एक्ट की धारा हटा दी थी। जिसके बाद कोर्ट ने पूर्व विधायक को धारा 420 से दोष मुक्त कर दिया। साथ ही कोर्ट ने पूर्व विधायक को 3 साल से कम सजा होने पर जमानत दे दी।