यूपी में शिक्षा विभाग का बड़ा एक्शन, 80 स्कूलों को नोटिस
लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 का उल्लंघन करने वाले 80 निजी स्कूलों को नोटिस भेजा है. इन स्कूलों पर आरोप है कि उन्होंने सत्र 2025-26 के लिए आरटीई के तहत चयनित गरीब और वंचित बच्चों को प्रवेश देने से मना कर दिया. इस गंभीर उल्लंघन के चलते बीएसए ने स्कूलों की मान्यता (एनओसी) रद्द करने और कानूनी कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी दी है.
तीन दिन के भीतर देना होगा जवाब
नोटिस के अनुसार, स्कूलों को तीन दिनों के भीतर उल्लंघन का कारण बताते हुए जवाब देना होगा. जवाब न देने या असंतोषजनक जवाब देने पर आरटीई एक्ट के तहत सख्त कदम उठाए जाएंगे, जिसमें एनओसी निरस्तीकरण और स्कूल की मान्यता वापस लेने की प्रक्रिया शामिल है. बीएसए ने स्पष्ट किया कि यह कदम शिक्षा में समानता और गरीब बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है.
क्या है आरटीई अधिनियम 2009
गौर करने वाली बात यह है कि 35 स्कूल प्रबंधक जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) द्वारा बुलाई गई बैठक में भी अनुपस्थित रहे, जिसे प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. यह अनुपस्थिति स्कूल प्रबंधनों की लापरवाही और नियमों के प्रति उदासीनता को दर्शाती है. आरटीई अधिनियम, 2009 के तहत, निजी स्कूलों को अपनी 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं। यह कानून शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है. फिर भी, कई स्कूल इस नियम का पालन करने में असफल रहे हैं, जिससे गरीब बच्चों का भविष्य संकट में है.
वहीं सिद्धार्थनगर जिले में बेसिक शिक्षा विभाग में एक अभियान के तहत जिले में चल रहे अनुपस्थित शिक्षकों पर कार्रवाई की है. जांच के दौरान 2 प्रधानाध्यापक, 11 सहायक अध्यापक, 29 शिक्षामित्र और 5 अनुदेशक गैर हाजिर मिले. 47 शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटा गया है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है. बता दें कि 6 मई से 13 मई तक परिषदीय विद्यालयों में सघन चेकिंग का अभियान चला था. बेसिक शिक्षा अधिकारी शैलेश कुमार ने कार्रवाई की है.
वहीं यूपी के 26 जिलों के बीएसए को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. परस्पर तबादले के लिए शिक्षकों के आवेदन सत्यापन में लापरवाही सामने आई है. सत्यापन के बिना आगे की प्रक्रिया पर असर पड़ रहा है, जिसके चलते बेसिक शिक्षा निदेशक ने बीएसए से स्पष्टीकरण मांगा है. कारण असंतोषजनक मिलने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.