Lok Sabha Election: NDA में तो हो गया, INDI गठबंधन में किस फॉर्मूले पर होगी सीट शेयरिंग, समझें पूरा गणित
पटना. लोकसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग का मामला एनडीए गठबंधन में तो सुलझा गया. लेकिन, INDI गठबंधन में क्या होगा? यह सवाल बिहार के राजनीतिक गलियारे में हर किसी की जुबां पर आ रहा है. दरअसल बिहार में विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव ने मुंबई से पटना लौटते हुए दावा किया कि सीट शेयरिंग का मसाला आसानी से सुलझ जाएगा. सूत्रों के अनुसार INDI गठबंधन के अंदर इसी हफ्ते सीट शेयरिंग को लेकर घोषणा कर दी जाएगी.
बता दें, सीट शेयरिंग के मामले में आरजेडी लीड ले ले रही है ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर काफी हद तक लालू यादव से लेकर तेजस्वी यादव की चलने वाली है. इस बात से इनकार नहीं किया सकता है. वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में एक सीट जीतने के बावजूद कांग्रेस के अंदर संकोच और संशय की स्थिति देखने को मिल रही है, क्योंकि कांग्रेस को पता है की सीटों के मामले में राजद उससे कहीं आगे है.
कांग्रेस इतने सीटों पर हो सकती है तैयार
वैसे कांग्रेस बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह का मानना है कि कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे तो ऐसे में काम से कम 10 या उससे अधिक सीटें उन्हें मिलनी ही चाहिए. हालांकि बात ना बिगड़े इस डर से कांग्रेस के नेता यह भी करने से नहीं हिचकते कि कांग्रेस सीट शेयरिंग के मामले में फ्लेक्सिबल हैं. एक सीट इधर से उधर हो जाए यानी पिछले लोकसभा चुनाव में 10 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को अगर 9 सीट भी मिल जाए तो वह इसके लिए तैयार हो जाएगी. क्योंकि सवाल महागठबंधन का है.
वाम दलों की है अपनी अलग मांग
उधर वाम दलों ने भी सीट शेयरिंग के मामले में वामदलो ने अपने हिस्सेदारी की संख्या बढ़ा दी है.भाकपा माले ने तो बाकायदा 8 सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं तो दूसरे वाम दलों को भी तीन सीट चाहिए. बहरहाल अंतिम फैसला तो मल्लिकार्जुन खड़गे और लालू प्रसाद यादव को लेना है. लेकिन, सीट शेयरिंग जल्द से जल्द हो जाए. ऐसा महागठबंधन का सबसे बड़ा दल कांग्रेस भी चाहता है. वहीं सबसे बड़ा सवाल पशुपति पारस और मुकेश साहनी को लेकर है. अगर पशुपति कुमार पारस राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिला लेते हैं तो न केवल लोजपा के पारस गुट का मान रह जाएगा बल्कि महागठबंधन भी खुद को मजबूत और सहज स्थिति मे आंक सकेगा. हालांकि इसको लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है.