कभी डांस तो कभी जिम के वक्त हार्ट अटैक, क्या इसकी वजह कोविड वैक्सीन?
दिल्ली: भारत में कभी डांस के वक्त तो कभी जिम में हार्ट अटैक से मौत के कई मामले सामने आए हैं. लोग इसे कोरोना वैक्सीन से जोड़ रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन की वजह से ही भारत में अचानक हार्ट अटैक से मौतें हो रही हैं. कुछ लोग इसे अफवाह मानते हैं तो कुछ लोग इसे सच मान रहे हैं. हालांकि, अब इस पर भारत सरकार का जवाब आ गया है. राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि भारत में अचानक हार्ट अटैक से हो रही मौत के पीछे कोविड वैक्सीन वजह नहीं है.
संसद के शीतकालीन सत्र में बुधवार को राज्यसभा में जेपी नड्डा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अचानक हो रही मौतों की वजह कोविड वैक्सीन नहीं है. इसके लिए उन्होंने आईसीएमआईर (ICMR) की स्टडी का हवाला दिया. उन्होंने राज्यसभा में ICMR की रिसर्च रिपोर्ट भी पेश की. आईसीएमआर की रिसर्च में दावा किया गया है कि भारत में हार्ट अटैक से हो रही मौत के पीछे कोविड वैक्सीन लगवाना नहीं है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में बताया है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की स्टडी में यह स्पष्ट हुआ है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने से भारत में युवाओं और वयस्कों में अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा है. वास्तव में आईसीएमआर की इस स्टडी से पता चलता है कि कोरोना वैक्सीन से ऐसी मौतों की आशंका कम होती है.
आईसीएमआर ने अपनी इस रिपोर्ट में उन आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान भारत में युवाओं और वयस्कों की असामयिक मौतें कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़ी थीं. ICMR ने रिसर्च 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में कंडक्ट किया. रिसर्च के दौरान 729 ऐसे मामले बतौर सैंपल लिए गए, जिनकी अचानक मृत्यु हो गई थी.
रिसर्च के निष्कर्षों से पता चला कि कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक या दो खुराक लेने से, बिना किसी कारण के अचानक मृत्यु की संभावना काफी कम हो जाती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट्स को ट्रैक करने के लिए एडवर्स इवेंट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) नाम से एक मजबूत सर्विलांस सिस्टम बनाया गया है. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन सेंटरों पर एनाफिलेक्सिस किट उपलब्ध कराई जाती है और टीकाकरण के बाद व्यक्ति को अनिवार्य रूप से 30 मिनट तक ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है. एईएफआई के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैक्सीन के साइड इफेक्ट से जुड़े मामलों की रिपोर्टिंग बढ़ाने के लिए राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. सरकार जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया का भी उपयोग कर रही है.