14 देशों को भेजे गए टैरिफ लेटर, टैरिफ दरें 25% से 40%, सबको भरना होगा टैरिफ’ : ट्रंप
दिल्ली. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रेड वॉर को लेकर अब किसी भी तरह की नरमी से साफ इनकार कर दिया है. उन्होंने ऐलान किया है कि 1 अगस्त 2025 से नए टैरिफ लागू होंगे और इस बार कोई ढील नहीं मिलेगी. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर कहा, “जिन देशों को टैरिफ लेटर भेजा गया है या भेजा जाएगा, उन सभी पर टैरिफ 1 अगस्त से लगेंगे – कोई बदलाव नहीं होगा.”
ट्रंप के इस बयान के बाद वैश्विक बाजारों और साझेदार देशों में हलचल मच गई है. ट्रेड एक्सपर्ट्स इसे अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति का नया अध्याय मान रहे हैं, जो पहले से ही वैश्विक अनिश्चितता से जूझ रहे देशों के लिए और बड़ा झटका साबित हो सकता है.
सोमवार को अमेरिका ने 14 देशों को टैरिफ लेटर भेजे हैं. इन देशों के नाम इस प्रकार हैं- जापान, साउथ कोरिया, मलेशिया, कजाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, म्यांमार, लाओस, बोस्निया, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, सर्बिया, कंबोडिया और थाईलैंड. इन देशों पर 25% से 40% तक का टैरिफ लगाने की बात कही गई है. ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर इन देशों ने जवाबी टैरिफ लगाए, तो अमेरिका और ज्यादा शुल्क वसूलेगा.
2 अप्रैल 2025 को ट्रंप ने इसे “लिबरेशन डे” कहते हुए व्यापारिक साझेदारों पर 10% बेसलाइन टैरिफ और कुछ पर 50% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए थे. इसके बाद 90 दिनों की मोहलत दी गई थी, जो अब 1 अगस्त को खत्म होगी.
BRICS पर अतिरिक्त वार
हाल ही में हुई BRICS समिट में ट्रंप की नीतियों की आलोचना हुई थी. इसके जवाब में उन्होंने BRICS में शामिल या जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है.
अब तक किन-किन से हुई डील?
अभी तक सिर्फ तीन देशों – ब्रिटेन, चीन और वियतनाम के साथ कुछ सीमित व्यापार समझौते हुए हैं.
वियतनाम पर 20% सामान्य टैरिफ और 40% ट्रांसशिपिंग टैरिफचीन पर पहले से ही 125% टैरिफब्रिटेन के साथ स्पेशल एग्रीमेंट
क्या होगा असर?
अर्थशास्त्रियों का दावा है कि टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा.जापान के लिए अनुमान है कि GDP में 0.8% तक की गिरावट आ सकती है.अप्रैल 2025 में टैरिफ की खबर के बाद शेयर बाजार से $6.6 ट्रिलियन डॉलर की वैल्यू साफ हो गई थी.
आलोचना और चेतावनी
- ट्रंप की टैरिफ नीति को अमेरिका के भीतर भी आलोचना मिल रही है.
- कुछ सीनेटर इसे असंवैधानिक बता रहे हैं.
- अर्थशास्त्री इसे महंगाई और मंदी का संकेत मान रहे हैं.
- वहीं ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बड़ा फायदा होगा